‘एक भारत अभियान – कश्मीर की ओर’ अभियान के अंतर्गत भुवनेश्वर में जाहीर सभा
भुवनेश्वर (ओडिशा) : भुवनेश्वर में भारत रक्षा मंच तथा हिन्दू जनजागृति समिति इनके संयुक्त विद्द्यामान में ‘एक भारत अभियान – कश्मीर की ओर’ इस अभियान के अंतर्गत आयोजित की गई जाहीर सभा में श्रीराम सेना के अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक ने संबोधित करते हुए कहा कि, ‘कश्मीर भारत का प्रवेशद्वार है।
आज पाकव्याप्त कश्मीर की आजादी का अभियान आरंभ है। वहां के हिन्दुओं को २६ वर्ष पूर्व भगाया गया है। अब कश्मीर भी भारत से अलग करने का षडयंत्र रचाया जा रहा है। ‘पाकिस्तान’ मुसलमानों को प्राप्त होने के पश्चात उन्होंने त्वरित ‘हंसकर लिया पाकिस्तान, लडकर लेंगे हिन्दुस्थान’ इस प्रकार की घोषणा की। उन्होंने भारत के विरोध में ४ बार युद्ध किया। उसके पश्चात भी हिन्दुस्थान प्राप्त नहीं होता, यह ध्यान में आने के बाद उन्होंने ‘बलपूर्वक प्रवेश कर अपनाएंगे हिन्दुस्थान’ इस रणनीति का आयोजन किया है। अतः आज कश्मीर धोखे में है !
कश्मीर की रक्षा करना महत्त्वपूर्ण है। उसके लिए वहां हिन्दुओं का निवास होना महत्त्वपूर्ण है। यदि कश्मीर बच गया, तो ही भारत बचेगा !’
इस अवसर पर पनून कश्मीर के अध्यक्ष डॉ. अजय च्रोंगू के साथ ११ राज्यों के हिन्दु संगठनों के पदाधिकारी एवं २५० से भी अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे।
‘एक भारत अभियान – कश्मीर की ओर’ कश्मिरी हिन्दुओं के लिए आशादायक ! – डॉ. अजय च्रोंगू, अध्यक्ष, पनून कश्मीर
पूरे विश्व में धर्म के आधार पर इतना बडा वंशविच्छेद कहीं भी नहीं हुआ होगा। ज्यू का वंशविच्छेद करनेवाले हिटलर की भी गर्दन शर्म के मारे नीचे झुक जाएगी, ऐसा वंशविच्छेद इस्लाम ने भारत में हिन्दुओं का किया है।
कश्मिरी हिन्दु इसी वंशविच्छेद का एक अध्याय है।
आज कश्मीर की स्थिती अत्यंत विस्फोटक है। कश्मीर का शासन विभाजन करनेवालों को प्राप्त हुआ है तथा केंद्र का शासन हमारी बात सुनने के लिए सिद्ध नहीं है। वर्ष २०१४ में देश में राष्ट्रवादी शासन सत्ता पर आया, अतः आशा की किरणें उत्पन्न हुई थी; किंतु इस नए शासन ने भी कश्मीरी हिन्दुओं का भ्रमनिरास किया।
कोई भी शासन हिन्दुओं के हित का कार्य नहीं कर रहा है; इसलिए हिन्दू संगठनों को संघटित होना पड़ रहा है। ‘एक भारत अभियान …’ इस अभियान के कारण अधिक मात्रा में जागृति होगी। इस अभियानद्वारा जो प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है, वह कश्मीरी हिन्दुओं के लिए आशादायक है !
केवल कश्मीर ही नहीं, तो तमिळनाडु तक सर्वत्र जिहादी आतंकवाद का धोखा ! – श्री. अर्जुन संपथ, अध्यक्ष, हिन्दु मक्कल कत्छी (हिन्दु जनता दल)
जिस दिन इराक तथा सिरीया इन देशों में इसिस स्थापन हुई, उसी दिन रामेश्वरम में मुसलमानों ने इसिस के झंडेवाले टी-शर्ट पहनाकर इसिस का स्वागत किया।
अतः केवल कश्मीर में हीं नहीं, तो तमिळनाडु तक सर्वत्र जिहाद का धोखा स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
हम तामिळी हैं, किंतु हिन्दु हैं तथा कश्मिरी हिन्दु हमारे धर्मबंधु, संस्कृतिबंधु तथा राष्ट्रबंधू हैं। उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है !
१९ जनवरी २०१७ को ‘चलो कश्मीर’ अभियान में सम्मिलित हों ! – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
‘एक भारत अभियान …’ यह कश्मिरी हिन्दुओं को न्याय्य अधिकार प्राप्त करवाने हेतु है। पूरे भारत के सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने संघटित हो कर ‘कश्मीर के हिन्दुओं के साथ बंधुत्व का संबंध है’, इसी दृष्टिकोण से इस अभियान का आरंभ किया है।
इस में ओडिशा राज्य के हिन्दुओं को भी सम्मिलित होना आवश्यक है। क्योंकि भारत के दो सूर्यमंदिरों में से एक सूर्यमंदिर ओडिशा के कोणार्क में है, तो दूसरा मार्तंड मंदिर कश्मीर के अनंतनाग में भग्नावस्था में है। वे हम हम सभी को पुकार रहे हैं कि, चलो कश्मीर !
यह अभियान काश्मिरी हिन्दुओं पर उपकार नहीं है, तो पूरे देश के हिन्दुओं का विस्थापन रोकने का प्रभावी उपाय है। उसके लिए १९ जनवरी को इस ‘चलो कश्मीर’ अभियान में सम्मिलित रहें।
संविधान की धारा ३७० हटाना, यही कश्मिरी हिन्दुओं को न्याय देने का उपाय ! – अधिवक्ता श्री. विष्णुशंकर जैन, सर्वोच्च न्यायालय
वर्ष १९५७ में कश्मीर की संविधान सभा विसर्जित हुई, इसलिए अब ‘धारा ३७०’ देश के राष्ट्रपति एक अधिसूचनाद्वारा निरस्त कर सकते हैं; किंतु देश की न्यायव्यवस्था एवं संविधान के अभ्यासक इस संदर्भ में कुछ भी मत प्रदर्शित नहीं करते।
सर्व दलीय राजनेताएं धारा ३७० के संदर्भ में इस प्रकार से दिशाभ्रम कर रहे हैं कि, यदि कश्मीर की रचना में कुछ परिवर्तन चाहिए, तो वहां की विधान सभा की दो तृतीयांश बहुमत की पुष्टि प्राप्त होनी चाहिए। विद्यमान व्यवस्था में कश्मिरी हिन्दुओं को न्याय प्राप्त नहीं हो सकता।
संविधान की धारा ३७० कलम हटाना, यही इस पर रामबाण उपाय है !
अफजलखान की हत्या करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज के हम वंशज हैं ! – अधिवक्ता श्री. देवदास शिंदे, हिन्दु स्वाभिमान प्रतिष्ठान, पुणे
कश्मीर पुनः हम कब प्राप्त करेंगे ? हिन्दु भारत में अल्पसंख्यंक होने के पश्चात अथवा भारत में स्थान-स्थान पर कश्मीर निर्माण होने के पश्चात ?
हिन्दुओं का वंशविच्छेद, यही एकमात्र योजना का उपयोग कर जिहादी कार्यरत हैं। यदि उन्हें उत्तर देना है, तो १९ जनवरी को भारत के हर घर से १ हिन्दु को इस ‘एक भारत अभियान …’ में सम्मिलित होना चाहिए।
हमें कश्मिरी हिन्दुओं का पुनर्वसन करना है। केवल इतने तक ही सीमित नहीं रहना है, तो पाकव्याप्त कश्मीर तथा जिस सिंधु नदी के कारण हिन्दु पहचाने जाते हैं, वह सिंधु नदी भी पुनः प्राप्त करनी है।
पाकवालों, यह बात ध्यान में रखें कि, गंगा पृथ्वी पर लानेवाले भगीरथ के हम वंशज हैं !
हर घर में अफजल होंगे, ऐसी घोषणा हम मराठों को न बताईए; क्योंकि अफजलखान की हत्या करनेवाले शिवछत्रपति के हम वंशज हैं। यदि ‘दूध मागोंगे तो खीर देंगे, कश्मीर मागोंगे तो चीर देंगे !’ ये घोषणा देने का हमें अधिकार है।
कश्मीर में हिन्दुओं का पुनर्वसन करना, यही भारत में हिन्दु राष्ट्र-निर्मिती का पहला स्तर ! – श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था
वर्ष १९९० में कश्मिरी हिन्दुओं को भगाया गया था, उस समय जिहादियों ने निझामे मुस्तफा की घोषणा की थी। निझामे मुस्तफा अर्थात ‘इस्लामी शासन अर्थात आज की भाषा में इस्लामिक स्टेट’ !
भारत में २६ वर्ष पूर्व कश्मीर को हिन्दुविहीन कर इस्लामिक स्टेट का आरंभ हुआ था। आज वहां हर जगह इस्लामिक झंडे लहराते हैं। धीरे-धीरे उनका यह कार्य भारत में न फैलें, इसलिए ‘एक भारत अभियान …’ महत्त्वपूर्ण है।
भारत को यह निर्णय करना है कि, पूरे भारत में इस्लामिक स्टेट चाहिए या ‘हिन्दु स्टेट’ अर्थात ‘हिन्दु राष्ट्र’ चाहिए ?
यदि भारत को इस्लामिक स्टेट होने से रोकना है, तो काश्मिर में हिन्दुओं का पुनर्वसन करना महत्त्वपूर्ण है। भारत एक हिन्दु राष्ट्र निर्मिती का यह पहला कदम सिद्ध होगा !
काश्मिरी हिन्दुओं का वनवास समाप्त करने हेतु आगे बढिएं ! – श्री. टी.एन. मुरारी, शिवसेनाप्रमुख, तेलंगणा तथा आंध्रप्रदेश
श्रीराम एवं पांडवों को १४ वर्ष वनवास भुगतना पडा; किंतु पश्चात उन्हें धर्मराज्य प्राप्त हुआ।
कश्मिरी हिन्दुओं का वनवास कब समाप्त होगा ?
काश्मिरी हिन्दुओं का २६ वषों का विस्थापन अर्थात वनवास ही है।
हम सभी को उसे समाप्त करने के लिए आगे बढना चाहिए !
काश्मिरी हिन्दुओं को उनका न्याय्य अधिकार दीजिए ! – श्री. मुरली मनोहर शर्मा, सहसंयोजक, भारत रक्षा मंच
जिहादियों, यह बात ध्यान में रखें कि, हिन्दुओं की सहनशीलता का अंत न देखें। कश्मिरी हिन्दुओं को उनका न्याय्य अधिकार दें !
जब हिन्दु संगठित रहते हैं, उस समय उनकी भुजाओं भें बल का संचार होता है तथा घंटे में बाबरी का निर्माणकार्य गिर जाता है !
एक ओर एमआयएम के आवैसी कहते हैं कि, १५ मिनट के लिए पुलिस को हटाएं, हम १०० करोड हिन्दुओं को भारी पडेंगे ! दूसरी ओर गुजरात में पुलिस १५ मिनट देर से आएं; इसलिए मुसलमानों पर अत्याचार हुए, ऐसे वहां के मुसलमान चिल्ला रहे हैं।
अतः हिन्दुओं की सहनशीलता का आदर करें !
क्षणिकाएं
१. सभा के पश्चात विख्यात कवी श्री. गजेंद्र सोलंकी तथा सरदार प्रताप फौजदार ने वीररस से पूर्ण काव्य का गायन किया।
२. उस समय भारत रक्षा मंच के संयोजक श्री. सूर्यकांत केळकर ने बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या के संदर्भ में उपस्थितों को जानकारी दी।
३. वर्ष १९९० में कश्मीर के हिन्दुओं के वंशविच्छेद का विदारक अनुभव जब श्रीमती अर्चना काक ने अपने मनोगत में व्यक्त किये, तब अनेक उपस्थितों के आंखों में आंसू आए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात