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गोवर्धनपीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजीद्वारा ‘एक भारत अभियान – कश्मीर की ओर’ आंदोलन को आशीर्वाद !

११ राज्यों के हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने लिया शंकराचार्यजी का मार्गदर्शन  !

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जगन्नाथपुरी (ओडिशा) : पिछले २६ वर्षाें से विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय प्राप्त करवाने हेतु पूरे देश के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा संघटित हो कर ‘एक भारत अभियान – चलो कश्मीर की ओर’ घोषणा की गई। इस आंदोलन के लिए आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन लेने हेतु ११ राज्यों के विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारियों ने हाल-ही में पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजी महाराज से भेंट की।

इस अवसर पर शंकराचार्यजी ने कश्मीरी हिन्दुओं के अधिकार के लिए आरंभ किए गए इस अभियान को आशीर्वाद दिए।

हिन्दुत्वनिष्ठों को मार्गदर्शन करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजी महाराज
हिन्दुत्वनिष्ठों को मार्गदर्शन करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजी महाराज

इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजीद्वारा किया गया मार्गदर्शन

१. मैं बहूत पूर्व से ही कश्मीर में चल रही घटनाओं के विषय में जानकारी प्राप्त कर रहा हूं साथ ही मार्गदर्शन भी कर रहा हूं।

२. इस से पूर्व मेरे पास आनेवाले नेताओं में प्रामाणिकता दिखाई देती थी; परंतु तदुपरांत उन का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ की ओर जाता हुआ दिखाई देने से मुझे यह अभियान छोड देना पडा !

३. ऐसी स्थिति है फिर भी मैंने कश्मीर का विषय कभी छोडा नहीं है। इसलिए उचित नेतृत्व के माध्यम से आप, आंदोलन आगे बढाएं। इस में व्यक्तिगत स्वार्थ, बिलकुल न हों !

४. यदि इस अभियान को सुयोग्यता, उचित प्रशिक्षण एवं कुशल व्यूहरचना इन सूत्रोंद्वारा चलाया गया, तो निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी ! उसीप्रकार यह लडाई लंबी अवधि तक चलनेवाली है। इसलिए संयम रख कर त्वरित फल की अपेक्षा न करते हुए कार्यरत रहें !

५. व्यक्तिगत प्रसिद्धि एवं नेतृत्व का लालच न करते हुए; समाज में से, त्याग की भावना से प्रेरित ईश्‍वर नियोजित व्यक्तियों को ढूंढ कर उनके माध्यम से इस आंदोलन को आगे बढाएं !

६. इतिहासकाल के ‘आर्य चाणक्य एवं चंद्रगुप्त’ तथा ‘समर्थ रामदास स्वामी एवं छत्रपति शिवाजी महाराज’ समान कार्य किया तो सफलता प्राप्त होती ही है !

७. नेपाल को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने हेतु प्रयास करते समय भी एक बात ध्यान में आई कि, इस आंदोलन के सभी नेताओं को ऐसा प्रतीत होता था कि मेरे ही पास इस का नेतृत्व (प्रधानमंत्रीपद) सौंपा जाना चाहिए ! अंततः अनेक हिन्दू नेताओं के चुनाव में खडे रहने से, हम सफल नहीं हो सके !

८. ‘कश्मीर समस्या’ के कारणों का बारिकी से अभ्यास कर एक योजना सिद्ध कर उचित व्यक्तियों के नेतृत्व में इस आंदोलन को आगे ले जाएं !

९. कोई भी समस्या से लडने हेतु ‘मनोबल’ के साथ ‘आध्यात्मिक बल’ की भी आवश्यकता होती है। यदि ‘आध्यात्मिक बल’ नहीं होगा, तो ‘त्याग’ की नीव पर आरंभ हुई गतिविधियां कब ‘उपभोग’ की ओर पहुंचेगी यह समझ में भी नहीं आता एवं आंदोलन असफल हो जाते हैं, ये बात हमेशा ध्यान में रखना !

१०. यह समस्या ‘जिस’ कश्मीर से संबंधित है, उन कश्मीरी हिन्दुओं की भावनाएं इस आंदोलन से जुडनी चाहिए !

शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु गए प्रतिनिधिमंडल में, यें हिन्दुत्वनिष्ठ सम्मिलित थे ….

इस प्रतिनिधिमंडल में पनून कश्मीर के अध्यक्ष श्री. अजय च्रोंगू; युथ फॉर पनून कश्मीर के श्री. विठ्ठल चौधरी; फ्रंट फॉर जस्टिस के अधिवक्ता श्री. विष्णुशंकर जैन, भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री. सूर्यकांत केळकर एवं सचिव श्री. अनिल धीर; श्रीराम सेना के संस्थापक श्री. प्रमोद मुतालिक; हिन्दू मक्कल कच्छी के संस्थापक श्री. अर्जून संपथ; शिवसेना तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश के अध्यक्ष श्री. टी.एन. मुरारी; श्री. पोन्नूस्वामी; हिन्दू स्वाभिमान प्रतिष्ठान के अधिवक्ता श्री. देवदास शिदे; सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस; हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे तथा हिन्दू जनजागृति समिति के बंगाल एवं झारखंड समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया उपस्थित थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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