विजयवाडा – इस वर्ष कृष्णा नदी का पुष्कर पर्व १२ अगस्त को प्रारंभ हुआ है तथा वह २३ अगस्त तक चलेगा । जिस स्थान पर कृष्णा नदी बहती है, उस स्थान पर यह पर्व मनाया जाता है । इस पर्वकाल में कृष्णा नदी में स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है । यह मेला आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर बसे विजयवाडा के पवित्र संगम घाट पर (कृष्णा एवं गोदावरी नदी का संगम) बडे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है । इस उपलक्ष्य में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से भव्य ग्रंथ प्रदर्शनी एवं बिक्री केंद्र लगाया गया है । इस प्रदर्शनी को श्रद्धालुआें से स्वयंस्फूर्त प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है ।
क्षणचित्र
१. इस पुष्कर पर्व में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना इन राज्यों के साधक सम्मिलित हुए हैं ।
२. पुष्कर पर्व में प्रसार हेतु फलक लगाते समय स्थानीय लोगों से अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ ।
३. कामधेनु सिल्क के मालिक ने अपने विज्ञापनों के १० फलकों पर सनातन के ग्रंथों में अंकित पुष्कर स्नान के संबंध में जानकारी प्रकाशित की है ।
४. भाग्यनगर के उत्पाद शुल्क विभाग के आयुक्त डॉ. आर.वी. चंद्रवदन ने विजयवाडा के निर्माण विभाग का मैदान प्रदर्शनी के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराया । उन्होंने सभी सात्त्विक उत्पादों के महत्त्व की जानकारी ली, साथ ही कुछ ग्रंथ एवं उत्पादों का क्रय किया ।
तेलगु देसम शासन की हिन्दूविरोधी नीति
१. विविध आध्यात्मिक संगठनों ने ग्रंथप्रदर्शनी लगाने हेतु आंध्र प्रदेश शासन से १ माह पूर्व भूमि उपलब्ध कर देने की मांग की थी; परंतु पुष्कर पर्व के लिए केवल एक दिन शेष रहते शासन ने १० फीट भूमि के लिए १० सहस्र रुपए के भाव से भूमि उपलब्ध कर देने की सिद्धता दर्शाई, साथ ही उसके लिए अन्य कोई भी सुविधा प्रदान करना नकार दिया ।
२. इस पुष्कर पर्व में तेलगु देसम शासन ने मनोरंजन के लिए लाखों रुपयों का व्यय कर भव्यदिव्य प्रबंध किया था और इसके लिए आध्यात्मिक संस्थाआें से भी सहस्रोें रुपयों का चंदा वसूल किया गया ।
स्त्राेत : दैनिक सनातन प्रभात