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कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन अर्थात ‘राष्ट्रीयत्व’ को स्थान ! – श्री. राहुल कौल, युथ फॉर पनून कश्मीर

पुणे में पत्रकार परिषद

२३ अक्तूबर की धर्मजागृति सभा में उपस्थित रहने का आवाहन

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पुणे : जिहादी आतंकवाद के कारण वर्ष १९९० में लाखों हिन्दुओं को कश्मीर से विस्थापित होना पडा। विगत २६ वर्ष से वो अपने ही देश में शरणार्थियों जैसा जीवन व्यतित कर रहे हैं। इन कश्मीरी हिन्दुओं ने अपना सम्मान एवं राष्ट्रीयता की भावना को बचाने हेतु धर्मपरिवर्तन का विकल्प नहीं चुना; परंतु अबतक के राज्यकर्ताओं ने कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वास हेतु कुछ नहीं किया। कश्मीरी हिन्दुओं का यह नरसंहार केवल धार्मिक कारणों से किया गया। राजनीतिक दल इस तथ्य का स्वीकार नहीं करते और वो कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वास की ओर राजनीतिक दृष्टि से देखते हैं !

कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वास का अर्थ पुनः राष्ट्रीयत्व को स्थान देना है। युथ फॉर पनून कश्मीर के अध्यक्ष श्री. राहुल कौल ने ऐसा प्रतिपादित किया। २३ अक्तूबर को कश्मीरी हिन्दुओं के समर्थन हेतु विराट हिन्दू धर्मजागृति सभा का आयोजन किया गया है। इस धर्मजागृति सभा की जानकारी देने के उद्देश्य से १९ अक्तूबर को यहां के श्रमिक पत्रकार संघ में पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया था। उसमें वे ऐसा बोल रहे थे।

पत्रकार परिषद में, बाईं ओर से सर्वश्री विजय पाटील, जगमोहन कौल, राहुल कौल, सुनील घनवट, अधिवक्ता देवदास शिंदे एवं चैतन्य तागडे
पत्रकार परिषद में, बाईं ओर से सर्वश्री विजय पाटील, जगमोहन कौल, राहुल कौल, सुनील घनवट, अधिवक्ता देवदास शिंदे एवं चैतन्य तागडे

इस समय कश्मीरी हिन्दू सभा, पुणे के अध्यक्ष श्री. जगमोहन कौल, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, साथ ही सदस्य श्री. चैतन्य तागडे, लष्कर-ए-हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता श्री. देवदास शिंदे तथा हिन्दू एकता आंदोलन के श्री. विजय पाटिल उपस्थित थे।

कश्मीरी हिन्दूओं का कश्मीर में सम्मानपूर्वक पुनर्वसन हो; इसके लिए गत एक वर्ष से ‘एक भारत अभियान – कश्मीर की ओर’ यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत देश के विभिन्न स्थानोंपर आयोजित की जा रही धर्मसभाओं में से पुणे में २३ अक्तूबर को होनेवाली सभा में बडी संख्या में उपस्थित रहने का, श्री. राहुल कौल ने आवाहन किया।

कश्मीरी हिन्दुओं हेतु धारा ३७० न होनेवाला स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाए ! – श्री. राहुल कौल

कश्मीरी हिन्दुओं को १३ वीं शताब्दी से लेकर वर्ष १९९० तक ७ बार कश्मीर से पलायन करना पडा। कश्मीर को इस्लामी राज्य बनाने हेतु ही जिहादी आतंकियोंद्वारा हिन्दुओं को वहां से खदेड दिया गया, साथ ही सहस्रों हिन्दुओं की चुन-चुनकर हत्याएं की गईं। कश्मीर की खिडकीद्वारा जिसका प्रवेश हुआ, वह जिहादी आतंकवाद अब पूरे देश में फैल चुका है। इसपर यदि कोई ठोस उपाय नहीं निकाला गया, तो हिन्दुओं को ९ वीं बार पलायन करना पडेगा !

उसके लिए सबसे पहले कश्मीरी हिन्दुओं का किया गया वंशविच्छेद धार्मिक कारणों से ही हुआ है, इसका स्वीकार करना पडेगा !

कश्मीरी हिन्दू वहां से हाथ में भारत का ध्वज लेकर निकल पडे थे, वो पुनः ‘एक भारत अभियान …’ के माध्यम से भारत का ध्वज लहराते हुए कश्मीर में फिर से बस जाएंगे। यह देश को जोडने का एक प्रयास है ! धर्मसभा के माध्यम से सभी को जिहादी आतंकवाद एवं विभाजनवाद के संदर्भ में अवगत कराया जाएगा तथा ‘कश्मीर में एक ऐसे केंद्रशासित प्रदेश का निर्माण किया जाए, जिस में धारा ३७० लागू नहीं होगी !’ यह कश्मीरी हिन्दुओं की प्रमुख मांग है !

जिहादियोंद्वारा ‘कश्मीर’ का प्रयोग पूरे देश में किया जा रहा है ! – श्री. जगमोहन कौल, अध्यक्ष, कश्मीरी हिन्दू सभा, पुणे

कश्मीर में देश को तोडने का प्रयास करनेवाले विभाजनवादियों को जनता के धन से सहायता दी जाती है, यह वास्तविक स्थिति है ! केवल पाकिस्तान से ही नहीं, अपितु भारत की ओर से भी उनको धनराशि दी जाती है, यह स्पष्ट हुआ है !

कश्मीर में बुरहान वानी नामक आतंकी का अंत किए जाने के पश्‍चात उसकी चर्चा पूरे देश में होती है; परंतु जिन्हें कश्मीर से विस्थापित होना पडा, उन कश्मीरी हिन्दुओं के विषय में कोई चर्चा नहीं होती ! कश्मीर में तो जिहादी आतंकियों ने केवल एक प्रयोग कर देखा था तथा दुर्भाग्यवश वह प्रयोग सफल भी रहा ! अब इस प्रयोग को पूरे देश में किया जा रहा है। सभी राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी बंधु कश्मीरी हिन्दुओं के पीठ पीछे खडें रहें !

कश्मीरी हिन्दुओं का सम्मानपूर्वक पुनर्वसन होनेतक शांति से नहीं बैठेंगे ! – श्री. सुनील घनवट, राज्यसंगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

कश्मीरी हिन्दुओं के संदर्भ में वास्तव में जो हुआ और जो देशवासियोंतक पहुंचाया गया, उस में बहुत अंतर है !

अभी भी कश्मीरी हिन्दुओं के नसीब में नरकयातनाएं ही हैं। इसीलिए गोवा में आयोजित पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में कश्मीरी हिन्दुओं के साथ खडे रहने का निर्धारित किया गया। इसका पूरे देश की १०० से भी अधिक राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी संगठनों ने समर्थन किया है। कश्मीरी हिन्दुओं का मनोबल बढाने हेतु ही इस धर्मसभा का आयोजन किया गया है तथा हम कश्मीरी हिन्दुओं का सम्मानपूर्वक पुनर्वसन होनेतक शांति से नहीं बैठेंगे !

इस धर्मसभा के प्रसार के अंतर्गत हम कश्मीरी हिन्दुओं का सम्मान के साथ पुनर्वसन हो; इसलिए विविध गांवों से कश्मीरी हिन्दुओं के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर रहे हैं। ये प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत किए जाएंगे। शासनद्वारा यदि इसपर ध्यान नहीं दिया गया, तो लष्कर-ए-हिन्द अगला कदम उठाएगा। अधिवक्ता श्री. देवदास शिंदे ने इस समय, ऐसी चेतावनी दी !

क्षणचित्र

१. इस समय कश्मीरी हिन्दुओं की सद्यःस्थिति पर नजर डालनेवाली ‘— और विश्‍व शांत रहा !’ इस ध्वनिचित्रचक्रिका का प्रसारण किया गया।

२. पत्रकार परिषद में सामान्य वेश में पुलिसकर्मी भी उपस्थित थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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