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गोवा : नरकचतुर्दशी की पूर्वसंध्या पर नरकासुर प्रतिमाओं की प्रतियोगिता की अपेक्षा श्रीकृष्ण पूजन को प्रोत्साहित करने का मगो दल का अभिनंदनीय निर्णय !

गोवा में अब नरकासुर प्रतिमाओं की प्रतियोगिता की अपेक्षा श्रीकृष्ण पूजन को प्रोत्साहन

पणजी : गोवा में नरकचतुर्दशी की पूर्वसंध्या पर नरकासुर की प्रतिमाओं की प्रतियोगिता का आयोजन करने की कुप्रथा बढ गर्इ है ! दुर्भाग्यवश सभी राजनीतिक दलों के नेता इन प्रतियोगिताओं का समर्थन कर रहे हैं। महाराष्ट्रवादी गोमंतक दल ने लोकहित तथा भारतीय संस्कृति की रक्षा की दृष्टि से नरकासुर के स्थान पर श्रीकृष्णजी की पूजा करने हेतू राज्य के हर चुनाव क्षेत्र तथा तहसिल में उपक्रम चलाने का निर्णय लिया है ! इस संदर्भ में दल के नेता श्री. नारायण सावंत ने पणजी के अपने कार्यालय में ली गई पत्रकार परिषद में यह जानकारी दी। श्री. नारायण सावंत ने कहा कि, ‘इन नरकासुर प्रतियोगिताओं के समय युवक देर रात हंगामा मचाते हैं। रात में जागरण होने के कारण यह युवक दीपावली के दिन दोपहर २ बजेतक सोए रहते हैं। इसके कारण ये युवक प्रातःकाल की दीपावली नहीं मना सकते। रातभर बाहर रहनेवाले इन युवकों पर उनके अभिभावकों का कोई नियंत्रण नहीं होता, उससे वो बुरी आदतों की ओर मुडते हैं। ऐसा न हो, इसलिए मगो दल ने हर चुनाव क्षेत्र एवं तहसिल में संघटित होकर भजन, गीतापठन आदि सात्त्विक कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय किया है !

नरकासुर प्रतियोगिताओं को सनातन का विरोध तथा मगो दल का यह उपक्रम कदाचित संयोग हो सकता है; परंतु मगो दल की यह स्वतंत्र भूमिका है, श्री. नारायण सावंत ने पत्रकारोंद्वारा पूछे गए प्रश्‍न का उत्तर देते हुए यह भी स्पष्ट किया।

युवा पीढी को धर्म एवं संस्कृति का ज्ञान हो; इसलिए यह उपक्रम ! – श्री. सुदिन ढवळीकर

श्री. सुदिन ढवळीकर
श्री. सुदिन ढवळीकर

कुछ दिन पूर्व मगो नेता श्री. सुदिन ढवळीकर ने बांदोडा के मगो दल के कार्यालय में इस संदर्भ में जानकारी दी थी। उस समय श्री. सुदिन ढवळीकर ने कहा था कि, आज की युवा पीढी पश्‍चिमी संस्कृति की ओर झुक रही है। उनको अपने धर्म का, गोमंतकीय लोककला का एवं संस्कृति का ज्ञान हो, इस उद्देश्य से यह उपक्रम चलाया जानेवाला है। पुराणकाल में नरकासुरद्वारा किए गए अत्याचार एवं उत्पीडन से जनता त्रस्त हो चुकी थी। उनको मुक्ति दिलाने हेतू श्रीकृष्णजी ने नरकासुर का वध किया था; परंतु काल के प्रवाह में श्रीकृष्णजी को महत्त्व न दे कर नरकासुर को ही महत्त्व दिया जाने लगा है ! इस स्थिति में परिवर्तन लाकर युवा पीढी को श्रीकृष्णजी का महत्त्व विशद करने हेतू आयोजित, यह प्रयास है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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