हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से तुमकुर (कर्नाटक) में ‘हिन्दू धर्मजागृति सभा’ !
तुमकुर (कर्नाटक) : जिहादी आतंकवाद के कारण आज विश्व में युद्धसदृश परिस्थिति उत्पन्न हुई है ! ‘धर्मनिरपेक्षता’ के नाम पर हिन्दुओं पर अन्याय हो रहे हैं। युरोप एवं अमेरिका खंडों के अनेक देशों में सनातन धर्म का स्वागत किया जाता है; परंतु दुर्भाग्यवश भारतीय, पाश्चात्त्य संस्कृति का स्वीकार कर दास्यत्व कर रहे हैं। धर्मपरिवर्तन, लव्ह-जिहाद तथा हिन्दू नेताओ की हत्याएं आदि समस्याओं ने हिन्दुओं को घेर रखा है। इस परिस्थिति में भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना यही विश्व में शांति प्रस्थापित करने का एकमात्र उपाय है ! हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मोहन गौडा ने ऐसा प्रतिपादन किया।
तुमकुर के श्री वसावी अमृत महाल, चिक्कापेटे में हिन्दुत्व की रक्षा हेतु तथा ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु २० नवंबर को हिन्दू धर्मजागृति सभा का आयोजन किया गया था। तुमकुर के सारापल्ली मठ के श्री श्री श्री ज्ञानंदपुरी महास्वामी, सनातन संस्था की श्रीमती गायत्री राव, रणरागिणी शाखा की कु. भव्या गौडा तथा उच्च न्यायालय की अधिवक्ता कु. दिव्या बाळेहितल ने मार्गदर्शन किया।
हिन्दुत्व का अभिमान न होना ही हिन्दुओं पर की सभी समस्याओं का मूल कारण है ! – श्री श्री श्री ज्ञानंदपुरी महास्वामी
इस धर्मजागृति सभा का आयोजन अत्यधिक अनुपालन के साथ किया गया है। हिन्दू धर्म में सभी बातों के संदर्भ में प्रचंड ज्ञान होते हुए भी हिन्दू अपने ही देश मे हिन्दुत्व की रक्षा करने में असमर्थ हैं ! गर्भ में रहते ही मां बच्चे का भविष्य बनाती रहती है; इसलिए हर माता को धर्माचरण कर बच्चों का पालन पोषण करना चाहिए। हरएक व्यक्ति ने हिन्दुत्व का अभिमान संजोना चाहिए। हिन्दुत्व का अभिमान न होना ही हिन्दुओं पर की सभी समस्याओं का मूल कारण है !
समाज, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करने हेतु हरएक व्यक्ति ने स्वसंरक्षण प्रशिक्षण ग्रहण कर सिद्ध रहना चाहिए ! – कु. भव्या गौडा, रणरागिणी शाखा
आज जिहादी आतंकवाद, नक्सलवाद तथा गुंडागर्दी के कारण समाज पूरी तरह खोखला हो गया है। इसलिए महिलाओं तथा समाज एवं राष्ट्र की सुरक्षा पर संकट छाया हुआ है। ऐसे समय में समाज, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करने हेतु हरएक व्यक्ति ने स्वसंरक्षण प्रशिक्षण ग्रहण कर सिद्ध रहना चाहिए।
इस अवसर पर सनातन संस्था की श्रीमती गायत्री राव एवं उच्च न्यायालय की अधिवक्ता कु. दिव्या बाळेहितल ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात