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हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से अकोला (महाराष्ट्र) में ‘स्वसंरक्षण प्रशिक्षण’ कार्यशाला !

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘स्वसंरक्षण प्रशिक्षण’

कार्यशाला में प्रशिक्षण लेते हुए युवक-युवतियां

अकोला : यहां हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ८ जनवरी को एक दिवसीय स्वसंरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुई। इसमें ५० से भी अधिक युवक-युवतियों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्घाटन धर्माभिमानी तथा सेवानिवृत्त अभियंता श्री. परमेश्‍वर राजपूत, समिति के विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर एवं जलगांव के समिति के प्रशिक्षक श्री. श्रेयस पिसोळकर के हाथों दीपप्रज्वलन किया गया। श्री. श्रीकांत पिसोळकर ने कार्यशाला का उद्देश्य स्पष्ट किया, तो श्री. श्रेयस ने ‘कैसे स्वरंसक्षण प्रशिक्षण; समय की मांग है’, इसका महत्त्व विशद किया। श्री. राजपूत ने युवतियों के लिए प्रशिक्षण लेना कैसे अनिवार्य है, इसे उदाहरणसहित स्पष्ट किया।

इस कार्यशाला में व्यायाम, ज्युदो-कराटे, दंडशृंखला एवं लाठी के प्रकार सिखाए गए। कार्यशाला के समापन के समय युथ कराटे अँड सेल्फ डिफेन्स क्लब के अध्यक्ष तथा अकोला के नामांकित अधिवक्ता श्री. पप्पूभाऊ मोरवाल, जानकी सीड्स के स्वामी श्री. संजय ठाकुर उपस्थित थे।

इस समय श्री. मोरवाल ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि, छुट्टियों के दिनों में मैं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से मिलना, हिन्दुओं को संगठित करना तथा उनको समिति के राष्ट्र-धर्म कार्य से जुडवाने हेतु प्रयास करूंगा !

श्री. संजय ठाकुर ने कहा कि, कार्यशाला के माध्यम से स्वसंरक्षण की गंभीरता ध्यान में आयी। हम ‘साधना’ करने से ही सफलतापूर्वक धर्मकार्य कर सकते हैं, इसके लिए हमें प्रतिदिन ‘साधना’ करनी चाहिए। मैं समिति के हर कार्य में सम्मिलित होने का प्रयास करूंगा !

क्षणचित्र

१. कार्यशाला में सम्मिलित १५ धर्माभिमानियों ने आगे प्रशिक्षकों के लिये होनेवाली कार्यशाला में सम्मिलित होकर ‘स्वयं ही प्रशिक्षक’ होने की सिद्धता दर्शाई !

२. कार्यशाला में युथ कराटे अँड सेल्फ डिफेन्स क्लब के राज्यस्तरपर खेले हुए १२ छात्र सम्मिलित हुए थे। इन सभी को कार्यशाला में सम्मिलित कर लेने हेतु क्लब के आंतरराष्ट्रीय पदक विजेता तथा प्रमुख प्रशिक्षक श्री. मनोज अंबेरे इन सभी खिलाडियों को कार्यशाला में ले आए। इन खिलाडियों ने कहा कि, यदि आज हमने इस कार्यशाला में सम्मिलित होना टाल दिया होता, तो वह हमारी बडी गलती हो सकती थी ! यहां आकर हम एक अलग ही प्रकार के विश्‍व में संचार करने का अनुभव ले रहे थे !

३. कार्यशाला के माध्यम से ६ प्रशिक्षणवर्ग, कारंजा में एकदिवसीय कार्यशाला, साथ ही १५ दिनों में एक बार प्रशिक्षकों हेतु वर्ग लेना सुनिश्‍चित किया गया !

४. कार्यशाला में आसपास के ८ गांव के युवकों ने भाग लिया !

५. कार्यशाला हेतु सभागृह, परिसर, दोपहर का भोजन, अल्पाहार, चाय-पानी का निःशुल्क प्रबंध हुआ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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