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हिन्दुओं में है, पुनरुत्थान की संजीवनी – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, हिन्दू जनजागृति समिति

इंदौर (मध्य प्रदेश) : अनेक आक्रमणकर्ताओं ने बार बार प्रयास किया फिर भी ‘हिन्दू धर्म’ नामशेष न होकर आज भी जीवित है ! विश्‍व के अन्य देशों में किए गए धर्मपरिवर्तन के प्रयास सफल हुए; परंतु भारत का हिन्दू उनपर भारी पडा ! इससे पुनरुत्थान की संजीवनी से व्याप्त ‘सनातन हिन्दू धर्म’ का महत्त्व ध्यान में आता है। आज हिन्दू धर्म को ग्लानि आयी हुई है। ऐसी स्थिति में हिन्दुओं ने साधना कर राष्ट्र एवं धर्म हेतु कार्य किया, तो उससे निश्‍चितरूप से ‘रामराज्य’ आयेगा !

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ऐसा प्रतिपादित किया। वे, यहां के आर्य समाज भवन में संपन्न हुई बैठक में बोल रहे थे।

पू. डॉ. पिंगळेजी ने आगे कहा कि, इंग्लैंड में हाऊस ऑफ लॉर्ड एवं हाऊस ऑफ कॉमन्स नामक २ सभागृह होते हैं। इनमें से हाऊस ऑफ कॉमन्सद्वारा बहुमत से किए गए निर्णय को भी हाऊस ऑफ लॉर्ड, अर्थात वहां के धनिकों का सभागृह नकार सकता है। जहां की संसद में ही यदि इतनी विषमता हो, तो उनकेद्वारा मानवता की भाषा की जाए, इससे अधिक हास्यास्पद क्या, हो सकता है ?

अतः भारतीयों को यदि वास्तविक विकास चाहिए, तो उनको ‘रामराज्य’ जैसी सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था का अध्ययन करना चाहिये !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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