Menu Close

कश्मीर में ‘पनून कश्मीर’ और भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनने तक कार्य करना, यह हमारा धर्मदायित्व है – पू. (डॉ) चारूदत्त पिंगळे

कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्स्थापन हेतु फरिदाबाद में कार्यक्रम संपन्न

छायाचित्र में – श्री रमेश शिंदे (बाएं से दुसरे), श्री राधाकृष्णन, श्री तपन घोष, पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळे, श्री. प्रमोद मुतालिक, अधिवक्ता (श्रीमती) चेतना शर्मा, श्री. अभय वर्तक

फरीदाबाद (हरियाणा) – यहां के सेक्टर ३७ स्थित कश्मीरी भवन में यूथ फॉर पनून कश्मीर तथा कश्मीरी पंडित वेलफेयर असोसिएशन द्वारा कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन हेतु विशेष कार्यक्रम का अायोजन किया गया था । इस कार्यक्रम में देहली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बंगाल, महाराष्ट्र, केरल,गोवा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश इन राज्यों से विविध हिंदुनिष्ठ और राष्ट्रप्रेमी संगठनो ने सहभाग लिया।

इस कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा फॅक्ट (FACT -Foundation Against Continuing Terrorism ) की ओर से बनाई गई प्रदर्शनी लगाईं गई थी, जिसमे कश्मीरी हिंदुओं पर १९ जनवरी १९९० को हुए अत्याचारों के छायाचित्र और जानकारी दी गई है।

कार्यक्रम के उपरान्त उपस्थित मान्यवरों का जम्मू में एक बड़े कार्यक्रम हेतु प्रस्थान हुआ, जिसका उद्देश्य कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्स्थापन हेतु वहां पनून कश्मीर बनाया जाए, जिसमें भारत का संविधान लागु हो, धारा ३७० वहां से हटाई जाए एेसी सरकारसे मांग करना है। साथ ही, भारत सरकार द्वारा १९ जनवरी को राष्ट्रीय विस्थापन दिन (कश्मीरी हिंदुओं के कश्मीर से विस्थापन का दिन ) घोषित किया जाए।

प्रारम्भ में पनून कश्मीर के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. राहुल कौल जी ने एक भारत अभियान के अन्तर्गत हुई सभी जनसभाओं की विस्तृत जानकारी दी। तदुपरांत सभी मान्यवर वक्ताओं के उद्बोधन हुए।

मान्यवरों के विचार

१. श्री प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना, कर्नाटक – यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, तो यह पूरे भारत की समस्या है। हिंदुओं को १९९० में कश्मीर में से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?
उन्हें केवल इसलिए वहां से निकल दिया गया कि वो ’हिन्दू´ हैं। आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है। इसलिए आज एक भारत अभियान की आवश्यकता है।

२. पू. (डॉ) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति – जिस प्रकार महाभारत के काल में भगवान श्रीकृष्ण ने ५ गांव मांगे थे किंतु कौरवों ने वो भी देने से इनकार कर दिया था , तदुपरांत महाभारत हुआ। उसी प्रकार आज कश्मीरी हिंदुओं के लिए पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ और राष्ट्रप्रेमी संगठन पनून कश्मीर मांग रहे हैं, परंतु आज सरकार चुप है।

कश्मीर भारत माता का मुकुट है। कश्मीर भूभाग नहीं, कश्यप ऋषि की तपोभूमि है। वहां से हिंदुओं का पलायन हुआ है, परंतु उन्हाेंने हार नहीं मानी है । कश्मीर में पनून कश्मीर और भारत हिन्दू राष्ट्र बनने तक हम कार्य करते रहेंगे यह हमारा धर्मदायित्व है ।

३. श्री. तपन घोष, हिन्दू संहति, बंगाल – हिन्दुआेंकी जो जनसांख्या १९४७ में थी, वैसी तो स्थिति आज कश्मीर में होनी चाहिए , यदि उसके लिए पूरे भारत से १५ % जाकर कश्मीर में रहना पड़ा तो भी उसमें कोर्इ अडचन नहीं। यदि आज कश्मीर के कट्टरपंथियों को उनका एक कश्मीर बनाने दिया, तो कल उनके हजारों कश्मीर बनेंगे !

४. श्री राधाकृष्णन, शिवसेना, तमिलनाडु – तमिलनाडु एक आध्यात्मिक क्षेत्र है, जहां कन्याकुमारी मां भगवती का क्षेत्र है। उसी प्रकार, कश्मीर मां सरस्वती का क्षेत्र है। हमने तमिलनाडु में इस विषय में जाग्रति लाने के लिए विविध आयोजन किए, ताकि ये बताया जा सके की मां भगवती और मां सरस्वती एक ही हैं। अर्थात हम सभी भारतीय एक ही हैं।

५. अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश – राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है। परंतु आज समय आ गया है की जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए। जब भी, जहां भी जनसांखियिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है। अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है। कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के बाकी क्षेत्र में भी होने लगा है। अब मात्र १० वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा , या हिन्दू विहीन राष्ट्र !

६. श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति – एक भारत अभियान के माध्यम से पूरे देश के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एकजुट हुए हैं, और जब तक ये पनून कश्मीर की मांग मान नहीं ली जाती, ये संघर्ष जारी रहेगा !

७. श्री. अभय वर्तक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था – हमारे प्रधान मंत्री हिन्दुत्वनिष्ठ हैं। हम उनसे अपेक्षा रखते हैं कि, वे हमें पनून कश्मीर दिलाकर रहें। इतना ही नहीं, १९ जनवरी ‘काला दिवस ‘ के रूप में पहचाना जाए, यह मांग भी हम प्रधानमंत्रीजी से करेंगे। इसकी शुरुआत सनातन पंचांग के माध्यम से हो गई थी, जब कुछ वर्ष पूर्व ही पंचांग में १९ जनवरी ‘कश्मीरी हिन्दू विस्थापन दिन’ के रूप में लिखा जाने लगा था।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *