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कश्मीर से धर्मांधों को बाहर का रास्ता दिखा कर वहां, ‘भगवा’ फहराना है – श्री. रमेश शिवपुरी, कश्मीर हिन्दू सभा

‘एक भारत अभियान . . . कश्मीर की ओर’ इस अभियान के अंतर्गत ‘पनून कश्मीर’ की ओर से ‘कश्मीरी हिन्दू विस्थापन दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम

व्यासपीठ पर उपस्थित मान्यवर

पुणे : आज की कश्मीर समस्या राजनीतिक नहीं अपितु दो धर्मों का संघर्ष है। पिछले १ सहस्र वर्षों से धर्मांधों की ओर से हिन्दुओं पर प्रहार किए जा रहे हैं। पिछले ७० वर्षों में हिन्दुओं को अपने ही देश में विस्थापितों का जीवन बिताना पड रहा है। आज धर्मांध हमारे ही छाती पर खडे रह कर स्पष्ट रूप से विरोध कर रहे हैं ! इसलिये अपना कश्मीर प्राप्त करने हेतु वहां से धर्मांधों को हटा कर वहां भगवा फहराना है, कश्मीर हिन्दू सभा के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री. रमेश शिवपुरी ने स्पष्ट रूप से ऐसा प्रतिपादित किया।

‘पनून कश्मीर’ की ओर से १९ जनवरी को ‘कश्मीरी हिन्दू विस्थापन दिवस’ के उपलक्ष्य में धानोरी (जिला पुणे) के कश्मीर भवन में आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे।

इस अवसर पर कश्मीर हिन्दू सभा के अध्यक्ष श्री. जगमोहन कौल, ज्येष्ठ साहित्यिक डॉ. अमर मालमोही, कश्मीर वाहिनी की श्रीमती रितु सुंभली, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले एवं समिति प्रणित रणरागिणी शाखा की श्रीमती राजश्री तिवारी तथा अनेक कश्मीरी हिन्दू उपस्थित थे।

श्री. रमेश शिवपुरी ने आगे कहा,

१. धर्मांधों ने हिन्दुओं को दुर्बल नहीं समझना चाहिये। पिछले १ सहस्त्र वर्षों से धर्मांधों के साथ लड कर भी आज भारत में ८३ प्रतिशत हिन्दू हैं। यह लडाई चलती ही रहेगी !

२. अपने में कुछ देशद्रोही ‘जयचंद’ अपने ही देश का खाकर अपने ही देश के विरोध में चंद पैसों के लिये बिक गए हैं, ऐसे ‘आधुनिक जयचंदों’ को देश से हटाना चाहिये !

३. म. गांधी ने हिन्दुओं की जितनी हानि पहुंचाई। उतना अन्याय एवं हानि किसी ने नहीं पहुंचाई। कश्मीर की समस्या उत्पन्न होने के लिये जवाहरलाल नेहरू उत्तरदायी हैं। यदि सरदार वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री होते, तो कश्मीर की समस्या होती ही नहीं थी !

४. हिन्दुस्थान हिन्दुओं का देश था, वर्तमान में है एवं भविष्य में भी रहेगा !

कश्मीर हिन्दुओं की जन्मभूमि एवं महाराष्ट्र कर्मभूमि है ! – श्री. जगमोहन कौल

अब तक अनेक बार कश्मीरियों पर अनेक बार आक्रमण हुए; परंतु हिन्दू धर्म समाप्त नहीं हुआ। कश्मीरी हिन्दुओं के विस्थापन के उपरांत भी हिन्दुओं को समाप्त करने का षड्यंत्र चल रहा है। फिर भी हिन्दू समाप्त नही हुए ! ‘गर्व से कहो, हम हिन्दू है !’ सभी हिन्दुओं तक यह संदेश पहुंचाना चाहिये। कश्मीरी हिन्दुओं की जन्मभूमि ‘कश्मीर’ एवं ‘महाराष्ट्र’ कर्मभूमि है !

अपना कश्मीर प्राप्त करने हेतु ‘साधना’ करनी चाहिये ! – डॉ. अमर मालमोही

हमें ‘संस्कार’ से हिन्दू होना चाहिये। कश्मीरी पंडित अपने संस्कार, परंपरा एवं धर्म का पालन करनेवाला है। पनून कश्मीर से हम अभी तक अनेक बार विस्थापित हुए हैं। कश्मीरी हिन्दुओं को धर्मांध मुसलमानों के कारण विस्थापित होना पडा। यदि हमें अपना हिन्दुत्व एवं हिन्दुस्थान को बचाना है, तो कश्मीर को बचाना पडेगा। हमारा कश्मीर प्राप्त करने हेतु हमें ‘साधना’ करनी होगी एवं अपने संस्कारों को भी संजोना होगा !

युवकों को अपने संस्कार संजोना एवं धर्मपालन करना आवश्यक है ! – श्रीमती रितु सुंभली

वर्ष १९९० में धर्मांधों ने कश्मीर में जो कहर मचाया था, हम उसे कभी नहीं भूलेंगे। आज युवकों को संस्कारानुसार आचरण एवं धर्मपालन करना आवश्यक है, अन्यथा वे एक दिन इतिहास में ‘जमा’ हो जाएंगे !

हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचारों को रोकने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ अपरिहार्य ! – श्री. पराग गोखले

वर्ष १९९० के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं के साथ जो हुआ, आज भारत के हर नगर में वही हो रहा है ! आज की ‘धर्मनिरपेक्ष’ (सेक्यूलर) शासन व्यवस्था इस समस्या का मूल है। सरकार हज यात्रियों को सुविधाएं देती है एवं सुविधापूर्ति करती है; परंतु आतंकवादियों की एक धमकी से अमरनाथ यात्रा का कालावधि ११ दिनों से न्यून करती है। यदि हिन्दुओं पर निरंतर होनेवाले अत्याचारों को रोकना है, तो धर्मनिरपेक्ष शासन व्यवस्था हटा कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना अपरिहार्य है, इसलिये हिन्दुओं को एक प्रभावी संघटन स्थापित करना आवश्यक है !

हिन्दू महिलाओं को अपने में विद्यमान दुर्गातत्त्व प्रकट कर अपनी रक्षा स्वयं करनी चाहिये ! – श्रीमती राजश्री तिवारी

जब जब पृथ्वी पर हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार हुए, तब तब प्रत्यक्ष भगवान ने अवतार धारण कर अधर्म का नाश किया है। अभी भी हिन्दु महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। ऐसे समय हिन्दू महिलाओं को स्वयं अपने में विद्यमान दुर्गातत्व को प्रकट कर अपनी रक्षा स्वयं करनी चाहिये एवं ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने में अपना योगदान देना चाहिये !

क्षणिकाएं

१. कुछ मान्यवरों ने कश्मीरी भाषा में मार्गदर्शन किया !

२. १९ जनवरी १९९० को कश्मीरी हिन्दुओं पर जो अन्याय किया गया, उस पर आधारित एक कविता श्री. संजय कौल ने प्रस्तुत की।

३. उपस्थित कश्मीरी हिन्दुओं में श्री. राजदान ने ‘मेरा घर’ इस शीर्षक के नीचे एक कविता प्रस्तुत की।

४. कार्यक्रमस्थल पर ‘हुरियतवालो, कश्मीर छोडो ! यहां होगा ‘पनून कश्मीर’ !’ अंग्रेजी भाषा में इस आशय का फलक लगाया गया था।

५. इस अवसर पर समिति की ओर से कश्मीरी हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचार के प्रसंग दर्शानेवाले ‘फॅक्ट’ निर्मित प्रदर्शनी लगाई गई थी।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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