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‘डे’ संस्कृति के विरोध में अंबरनाथ (महाराष्ट्र) में आंदोलनद्वारा जनजागृति

‘डे’ संस्कृति के विरोध में, आंदोलनद्वारा जनजागृति

हिन्दुओं को भारत से नष्ट करने हेतु अंग्रेजों ने ‘डे’ समान विकृति का आरंभ किया ! – श्री. वसंतन, डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी संस्थापक

अंबरनाथ : हिन्दुओं को भारत से नष्ट करने हेतु अंग्रेजों ने ‘डे’ समान विकृति का आरंभ किया है। समस्त हिन्दुओं को जान लेना चाहिए कि, भारत के हिन्दू क्रांतिकारकों को भूल कर आज ‘डे’ मनाने हेतु एवं उन्हें प्रोत्साहित करने हेतु ईसाई धर्मप्रसारक सहायता कर रहे हैं। हिन्दू संस्कृति को बचाने हेतु महिलाओंद्वारा दायित्व लेकर किया गया यह आंदोलन अत्यंत प्रशंसनीय है !’ डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी के संस्थापक श्री. वसंतन ने यहा आयोजित आंदोलन में ऐसा प्रतिपादित किया।

मान्यवरों के विचार

पूज्यपाद संतश्री आसाराम बापूजी ने १४ फरवरी को ‘मातृ-पितृ दिवस मनाना’ आरंभ किया ! – श्रीमती मीना गुप्ता, योग वेदांत सेवा समिति

पाश्चात्त्य शिक्षापद्धति के कारण बच्चे कुसंस्कारी हो रहे हैं। कॉन्व्हेंट स्कूलोंद्वारा बच्चों को विकृति की ओर ले जानेवाले ‘डे’ मनाए जाते हैं। बच्चों पर सुसंस्कार करने हेतु पूज्यपाद संतश्री आसाराम बापूजी ने गुरुकुल शिक्षापद्धति का आरंभ किया। उन्होंने ‘व्हॅलेंटाईन डे’ का विरोध कर १४ फरवरी के दिन, ‘मातृ-पितृ दिवस’ मनाना आरंभ किया।

समाज में विकृति फैलानेवाले ‘व्हॅलेंटाईन डे’ का बहिष्कार करें ! – डॉ. उपेंद्र डहाके, उपाध्यक्ष, भाजप, कल्याण नगर पश्चिम

युवा पीढी का भविष्य उद्ध्वस्त करने हेतु ‘डे’ मनाने की कुसंस्कृति भारत में वृद्धिंगत हो रही है। समाज में विकृति फैलानेवाले ‘व्हॅलेंटाईन डे’ का बहिष्कार करें, क्योंकि इस कालावधि में कुमारी माताओं की संख्या में अधिक वृद्धि होती है !

इस अवसर पर रणरागिणी शाखा की श्रीमती सुनीता पाटिल एवं हिन्दू जनजागृति समिति की अधिवक्ता श्रीमती किशोरी कुलकर्णी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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