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मुंबई : घाटकोपर में मातृ-पितृ दिवस संपन्न

श्री योग वेदांत सेवा समिति एवं युवा सेवा संघ की ओर से मातृ-पितृ दिवस संपन्न !

घाटकोपर : यहां के श्री योग वेदांत सेवा समिति एवं युवा सेवा संघ की ओर से मातृ-पितृ दिवस मनाया गया। इस समय अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम में मान्यवरोंद्वारा व्यक्त किए गए विचार . . .

आयोजक श्री. सुनील दुबे ने कहा, ‘आज के दिन, देश में अपनी ही संतानद्वारा देखभाल न होनेवाले वृद्धों की संख्या गति से बढ रही है। आधुनिकता का अतिसोस के कारण उत्पन्न इस नई समस्या के संदर्भ में शासन भी चिंता में है; परंतु ‘मातृ-पितृ दिवस’ जैसे उपक्रम के माध्यम से अपने माता-पिताओं के प्रति सद्भाव, सौजन्य एवं सम्मान व्यक्त करने की भावना बढे रहने के कारण इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।’

प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. पारस राजपुत ने कहा कि, ‘व्हॅलेंटाईन डे’ मनाने का अर्थ पाश्‍चात्त्यों की नीतिहीनता का अनुकरण तथा हिन्दू संस्कृति का अवमूल्यन करना है ! पाश्‍चात्त्य संस्कृति का अंधानुकरण कर हम अपनी ही संस्कृति को तोड रहे हैं। पूज्यपाद संतश्री आसाराम बापूजी ने हिन्दू संस्कृति पर हो रहे इस आक्रमण को पहचान कर उन्होंने इस दिन ‘मातृ-पितृ दिवस’ मनाने का आवाहन किया था। इसलिए लाखों श्रद्धालु इस दिन माता-पिताओं का पूजन कर रहे हैं और इस माध्यम से वो इस अनिष्ट परंपरा को रोकने का ही काम कर रहे हैं !’

ब्राह्मण एकता सेवा संस्था के अध्यक्ष श्री. अखिलेश तिवारी ने कहा कि, ‘सनातन हिन्दू धर्म के निहित त्यौहार हमें नैतिकता एवं सदाचार सिखाते हैं, अपितु ‘व्हॅलेंटाईन डे’ जैसी पाश्‍चात्त्य परंपराएं अनैतिकता एवं अनाचार सिखाती हैं। वर्तमान में सुनियोजित षडयंत्रोंद्वारा सनातन हिन्दू धर्म एवं संतोंपर आक्रमण किए जा रहे हैं। शासन चाहे किसी का भी हो; परंतु अब हिन्दू अन्याय सहन नहीं करेंगे। पूरे भारत में इसके परिणाम दिखाई देंगे !’

हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता डॉ. उदय धुरी ने कहा, ‘शासन मातृ-पितृ दिन मनाने का आदेश निकालनेवाले श्री. तानाजी घाडगे के निलंबन को तुरंत वापस ले, साथ ही महाराष्ट्र शासनद्वारा देवताओं की प्रतिमाओं पर प्रतिबंध का फतवा निकालनेवाले पर क्या, कार्रवाई की गई, यह भी जनता को बताएं !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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