हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के ‘खडकवासला जलाशय रक्षा अभियान’ के अंतर्गत पुणे में, पत्रकार परिषद !
पुणे : रासायनिक रंगों से खेलकर खडकवासला जलाशय में खेलने हेतु आनेवाले लोगों से जलाशय की रक्षा हो अर्थात इससे होनेवाले प्रदूषण पर रोंक लगे; इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति अन्य समविचारी संघटनों के साथ विगत १४ वर्षों से निरंतर ‘खडकवासला जलाशय रक्षा अभियान’ चला रही है।
इस वर्ष भी १३ मार्च (धुलीवंदन) एवं १७ मार्च (रंगपंचमी) इन दोनों दिन पर को खडकवासला जलाशय के चारों ओर मानवीय शृंखला बनाकर नागरिकों को उद्बोधन किया जानेवाला है। ‘कमिन्स इंडिया लिमिटेड’ इस आस्थापन के कर्मचारी, अधिकारियोंसहित स्थानीय ग्रामवासी भी इस अभियान में भाग लेनेवाले हैं। अतः इस अभियान में अधिकाधिक लोग सम्मिलित हों और उसके लिए ८९८३३३५५१७ इस भ्र. भाष क्रमांक पर संपर्क करें’ ऐसा आवाहन सनातन संस्था के श्री. प्रवीण नाईक ने पत्रकार परिषद में किया।
इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. चैतन्य तागडे, गार्गी सेवा फाऊंडेशन के श्री. विजय गावडे एवं गोर्हे बुद्रुक गांव के सरपंच श्री. सचिन पालसकर भी उपस्थित थे। प्रशासन की ओर से भी इस वर्ष धुलीवंदन एवं रंगपंचमी के दिन खडकवासला जलाशय में उतरने के लिए नागरिकों को प्रतिबंधित किया गया है। समिति, साथ ही सनातन के निरंतर चल रहे इस अभियान के कारण प्रशासनद्वारा संज्ञान लेकर पर्यावरण की रक्षा हेतु प्रधानता लेनेपर श्री. नाईक ने संतोष व्यक्त किया।
भविष्य में इस प्रकार के अभियान को चलाने की आवश्यकता ही नहीं पडेगी – श्री. सचिन पालसकर
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से विगत १४ वर्षों से चलाए जा रहे इस अभियान के हम साक्षी हैं। एक नागरिक के रूप में, साथ ही संस्कृति रक्षा मंच नामक हमारे संघटन की ओर से हमने सदैव ही इस अभियान में सहभाग लिया है। विगत अनेक वर्षों से चलाया जा रहा यह अभियान शत प्रतिशत सफल हो रहा है। इसके आगे समिति के उद्बोधन के कारण नागरिकों में और अधिक जागृति होकर भविष्य में इस प्रकार का अभियान चलाने की आवश्यकता ही नहीं पडेगी ! इस अभियान के समय समिति के कार्यकर्ता कडी धूप में खडे होकर जलाशय की रक्षा करते हैं और हमें यहां आनेवाले कार्यकर्ताओं की सहायता करने का अवसर मिलता है, यह हमारा सौभाग्य ही है, ऐसी भावना भी श्री. पालसकर ने व्यक्त की !
श्री. विजय गावडे ने; समिति के माध्यम से, गार्गी फाऊंडेशन की ओर से हर महाविद्यालय जाकर होली एवं रंगपंचमी का त्यौहार धर्मशास्त्र की दृष्टि से कैसे मनाएं, इस संदर्भ में उद्बोधन करने का मनोदय व्यक्त किया।
पत्रकारोंद्वारा पूछे गए प्रश्नों को उत्तर देते हुए श्री. प्रवीण नाईक ने कहा ….
१. कुछ संगठन ‘कचरे की होली करें’, ‘पूरनपोली, दान करें’, इस प्रकार का अशास्त्रीय दुष्प्रचार करते हैं। उनके झांसे में न आकर नागरिक धर्मशास्त्र के अनुसार ही होली मनाएं। गरिबों को अन्नदान न करने की समिति की भूमिका नहीं है; परंतु उसकी आड में धर्मशास्त्र में विदित कृतियों को दूर रखने के आग्रह का हम विरोध करते हैं। हमारे हर त्यौहार के पीछे अध्यात्मशास्त्र होने से कोई भी त्यौहार क्यों एवं कैसे मनाएं, इसे जान लेना चाहिए। होली के कारण वातावरण की शुद्धता होती है !
२. महिला, युवतियों की छेड़खानी करना, उनपर रंगों के गुब्बारे फेंकना, मदिरापान-धुम्रपान करना, तीव्र गति से वाहन चलाना जैसी अप्रिय घटनाओं को रोकने हेतु पुलिसकर्मियों के गश्तदल सिद्ध कर इस प्रकार के अपकृत्य करनेवाले युवकोंपर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, साथ ही आपत्तिजनक रंग एवं गुब्बारों की बिक्री करनेवाले बिक्रेताओंपर भी कार्रवाई होनी चाहिए। त्यौहार-उत्सवों में व्याप्त अनिष्ट कृत्यों को तोड डालकर त्यौहारों को अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टि से मनाया जाए; इसके लिए भी समिति की ओर से इसके पहले ही पुलिस प्रशासन को ज्ञापनें प्रस्तुत की गई हैं। होली, रंगपंचमी एवं धुलिवंदन के पीछे निहित शास्त्र क्या है, इसके संदर्भ में विद्यालय-महाविद्यालयों में भी जाकर भी उद्बोधन किया जा रहा है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात