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हिन्दुओं को राजनेताओं पर निर्भर न रहते हुए निश्चय कर हिन्दू शक्तिप्रदर्शन करना चाहिए ! – श्री. शशिधर जोशी

लासलगांव (नासिक) में ‘हिन्दू धर्मजागृति सभा’

दीपप्रज्वलन करती हुई कु. मृणाल जोशी, श्रीमती वैशाली कातकाडे, श्री. शशिधर जोशी

लासलगांव (नासिक) : आज देश में ही नहीं, अपितु विदेश में भी हिन्दू धर्म की आलोचना की जाती है। देवी-देवताओं का अनादर कीया जाता है। हिन्दू समाज निष्क्रीय होने से ही सर्वत्र ऐसा हो रहा है। हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. शशिधर जोशी ने हिन्दुओं को अब राजनेताओं पर निर्भर न रहते हुए निश्चय कर हिन्दुओं को शक्तिप्रदर्शन करने का आवाहन किया।

२५ मार्च को यहां के प.पू. भगरीबाबा मंदिर मैदानस्थल पर आयोजित हिन्दू धर्मजागृति सभा में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ व्यासपीठ पर सनातन संस्था की कु. मृणाल जोशी एवं रणरागिणी शाखा की श्रीमती वैशाली कातकाडे उपस्थित थीं। सभा में लासलगाव एवं परिसर के ५०० से भी अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे।

मान्यवरों के शुभहाथों दीपप्रज्वलन कर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को पुष्पहार समर्पित किया गया। पुरोहित श्री. नीलेश अग्निहोत्री एवं श्री. दीपक कुलकर्णी ने वेदमंत्रपठन किया। इस सभा का सूत्रसंचालन श्री. शिवाजी उगले ने किया। श्री. तानाजी ने समितिद्वारा पूरे विश्व में चल रहे कार्य की पहचान करवाई।

महिलाओं को अत्याचारों के विरोध में लडाई करनी चाहिए ! – श्रीमती वैशाली कातकाडे, रणरागिणी शाखा

हिन्दू धर्म में स्त्री को देवी के रूप में देखा जाता है; मात्र मुगलों के काल से स्त्रियों को गुलाम बनाने का षडयंत्र चलाए जाने के कारण आज महिला असुरक्षित हो गई हैं। इसलिए अब महिलओं को ही हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का अभ्यास कर उन पर होनेवाले अत्याचारों के विरोध में लडाई करनी चाहिए।

सनातन संस्था के कार्य का वटवृक्ष बढता ही जाएगा ! – कु. मृणाल जोशी, सनातन संस्था

पुरोगामित्व, सर्वधर्मसमभाव, नास्तिकतावाद आदि शब्दों के नाम पर हिन्दू धर्म एवं सनातन संस्था का छल किया जा रहा है। हिन्दू धर्म के विरोध में चलनेवाले षडयंत्र के विरोध में सनातन संस्था प्राण न्योछावर कर खडी रहने के कारण ही सनातन संस्था को झूठे प्रकरणों में फंसा कर अपकीर्त करने का षडयंत्र रचा जा रहा है; परंतु ऐसा है, फिर भी सनातन संस्था के कार्य का वटवृक्ष बढता ही जाएगा !

क्षणिकाएं

१. केवल धर्मसभा को सुनने हेतु ८४ वर्ष के श्री. पोफळे सर मालेगाव से आए थे।

२. ८० वर्ष से अधिक आयुवाली आधुनिक वैद्या श्रीमती परांजपे भी धर्मसभा के लिए विशेष रूप से उपस्थित थीं।

३. व्यासपीठ से प्रथमोपचार के प्रात्यक्षिक कर दर्शाए गए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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