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द्वितीय ‘अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन’की फलनिष्पत्ती

हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए किए जानेवाले प्रयत्नोंके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चरणके रूपमें इस अधिवेशनका इतिहासमें उल्लेख होगा ! इस अधिवेशनका उद्देश्य १०० प्रतिशत सफल हुआ…

राष्ट्र तथा धर्मके विचार विद्यार्थियोंसे लेकर बडोंतक पहुंचानेवाले प्रा. दुर्गेश परुळकर ! – भाग २

राष्ट्र, तथा धर्मपर १० पुस्तकोंका लेखन; प्रबोधन, प्रवचन, व्याखानोंके माध्यमसे; सत्य तथा ज्वलंत इतिहास समझानेके माध्यमसे ज्येष्ठ पत्रकार एवं प्रा. दुर्गेश परुळकर राष्ट्रकार्य कर रहे…

कुंभमेलेकी धरतीपर ‘वारी’ को सुविधा क्यों नहीं है ? – ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्री

तीर्थक्षेत्रोंका विकास करना शासनका कर्त्तव्य है; किंतु यह विकास तीर्थक्षेत्रके अनुसार हो । तीर्थक्षेत्रमें त्यागवृत्ति देखी जाती है; तथा भोगवादकी अपेक्षा साधना करनेवाला समाज अधिक…

शौर्यको प्रोत्साहन देनेवाले उपक्रम कीर्तनकारोंको करने चाहिए ! – ह.भ.प. चारुदत्त आफळे

कीर्तनकार एवं प्रवचनकारोंको केवल कीर्तन ही करके नहीं रुकना चाहिए, अपितु प्रसंगानुरूप शौर्यको प्रोत्साहन देनेवाले उपक्रम भी चलाने चाहिए ।

शास्त्रको छोडकर हिंदू और धर्म ये दो शब्द रह ही नहीं सकते ! – डॉ. कौशिकचंद्र मलिक

शास्त्रको छोडकर हिंदू और धर्म ये दो शब्द रह ही नहीं सकते । हिंदू धर्म शास्त्रपर आधारित है । वेद अपौरूषेय हैं ।

भारत हिंदू राष्ट्र बने, इस हेतु राष्ट्रव्यापी हिंदूसंगठनका निर्धार !

अधिवेशनमें सहभागी हुए २१ राज्योंके हिंदुत्ववादी संगठनोंके २५० से भी अधिक पदाधिकारियोंने भारतको हिंदू राष्ट्र बनाने हेतु राष्ट्रव्यापी हिंदूसंगठनका समान कृति योजना निश्‍चित की ।

धर्मसंस्थाको कोई भी अधिकार न होनेके कारण भारतकी अधोगति ! – प्रा. रामेश्‍वर मिश्र

प्रा. रामेश्‍वर मिश्रने कहा, यूरोपके देशोंमें वहांकी धार्मिक व्यवस्थाको विशेष अधिकार हैं, साथ ही वहांके नागरिक अपने देशकी कभी निंदा नहीं करते । भारतमें ऐसा…

‘देशकी समस्याएं दूर होनेके लिए हिंदू राष्ट्र शीघ्रातिशीघ्र स्थापित होना आवश्यक !’

विभाजनके समय मुसलमान ३ करोड थे, इसलिए अल्पसंख्यक थे । अब वे ३० करोड हो गए हैं, तब भी अल्पसंख्यक ही हैं क्या ? अब…