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‘गोली वडापाव’ द्वारा जालस्थानपर दिया श्री गणपतिका विडंबन हटाया गया !

‘गोली वडापाव’ आस्थापनद्वारा वडापावपर श्री गणेशका चित्र दिखाकर उनका अनादर किया जाता है । अब इस आस्थापनद्वारा यह चित्र हटा दिया गया है ।

समितिद्वारा प्रबोधनके पश्चात् ‘टाटा स्काय’के श्री गणेशजीका अनादर करनेवाले फलक निकाले ।

बेलगांव शहरमें अनेक स्थानोंपर ‘टाटा स्काय’की ओरसे श्री गणेशजीका अनादर करनेवाले विज्ञापन फलक लगाए गए थे ।

मालिका ‘वीर शिवाजी’ का नाम परिवर्तित कर ‘छत्रपति शिवाजी’ करनेकी मांग ‘कलर्स’ वाहिनीसे विनती !

‘कलर्स’ वाहिनीपर ‘वीर शिवाजी’ मालिकाका नाम परिवर्तित कर ‘छत्रपति शिवाजी’ करें, ऐसी विनती हिंदु जनजागृति समितिकी ओरसे ‘कलर्स’ वाहिनीके व्यवस्थापकोंको की गई ।

गुजरातके ‘शतायू’ नामक स्वयंसेवी संस्थाकी ओरसे श्री गणेशका अपमान !

एक मानवी अवयवका रोपण करनेके क्षेत्रमें कार्य करनेवाली ‘शतायु’ नामक स्वयंसेवी संस्थाने गणेशोत्सवके उपलक्ष्यपर शहरमें हर स्थानपर फलक लगाए हैं । इन फलकोंपर श्री गणेशका…

क्रांतिकारियोंका अपमान एवं इतिहासका विकृतिकरण रोकें !

स्वतंत्रता-समरके अग्निकुंडमें आहुति देनेवाले सहस्रों क्रांतिकारियोंके उपकार आजके निधर्मी राज्यकर्ता भूल गए हैं । वे क्रांतिकारी तथा राष्ट्रपुरुषोंका आगे दिए अनुसार विकृत इतिहास प्रचारित कर…

राष्ट्रको खंडित करना एवं उसे मौन स्वीकृति देना, क्या यह जघन्य अपराध नहीं ?

स्वतंत्रतादिवस विशेष सद्गुरुदेव प.पू. आचार्य स्वामी श्री धर्मेंद्र महाराज, श्रीपंचखंडपीठजीके पावन परिवारके जून २००९ की पत्रिकामें ‘महात्मा रामचंद्र वीरका निर्वाण अखंड भारतके स्वप्नका अवसान’ इस…

कितनी घातक सिद्ध हुई है धर्मनिरपेक्षता !

‘१९४७ में अंग्रेजों और अन्य देशोंकी निगाहमें पाकिस्तान ‘मुसलमान नेशन’ और भारत ‘हिंदु नेशन’ ही माना जाता था । चूँकी हिंदु जाती संस्कारों से उदार…

स्वतंत्रताकी सफलताका मूलमंत्र !

इस माह देशकी स्वतंत्रताकी ६५वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी । वैसे तो विश्वके कितने ही देश विविध वर्षोंमें उपनिवेशवादकी दासतासे मुक्त हुए, खरे अर्थोंमें स्वतंत्र  हुए…

‘भारतके तिरंगेमें परिवर्तन कर केसरी रंग हटा ही देना चाहिए’, ऐसा परामर्श उद्दंड पाकिस्तानद्वारा

‘फैसलाबादमें भारत और पाकिस्तानके मध्य क्रिकेट सामना हुआ । उस समय पाकिस्तानने अपने ध्वजके साथ भारतका भी ध्वज लगाया था । उसमें तिरंगे ध्वजका हरा…

कौन कहता है हम स्वतंत्र हैं ?

वर्तमानमें समाजका एक भाग नीतिपर आधारित होना, तो दूसरा अर्थपर आधृत विकास करनेके लिए संघर्षरत होना : ‘किसी राष्ट्रके लिए ६० वर्षोंका काल अल्प नहीं…