Menu Close

माताओं-बहनों एवं श्रद्धास्थानोंकी रक्षा करना हिंदुओंका धर्मकर्तव्य है ! – राजासिंह ठाकुर

हिंदुओंकी मां-बहन, मठ, मंदिर, गोमाता, इन सभी श्रद्धास्थानोंकी रक्षा करना हिंदुओंका धर्मकर्तव्य ही है ।

‘डे’ अर्थात ‘डेथ’ संस्कृतिको तडीपार करें ! – प्रमोद मुतालिक

‘पब’के कारण नशीले पदार्थों एवं वेश्या व्यवसायमें वृद्धि होती है ।| इस देशको बचानेके लिए पश्चिमी संस्कृतिके ‘पब,‘वैलेंटाईन डे’ एवं ‘रोज डे’ समान ‘डेथ’ संस्कृतिको…

अधिवेशनके तिसरे दिन की गुटचर्चाओंका सारांश

हिंदू जब स्वयं धर्मशिक्षा ग्रहण करेंगे, तब ही धर्मपरिवर्तन रोकना संभव होगा । स्वयं धर्माचरण कर अन्योंसे भी करवाना चाहिए ।पश्चिमी पद्धतिके ‘३१ दिसंबर’,‘वैलेंटाईन डे’का…

हिंदू अधिवेशनके चतुर्थ दिवस की क्षणिकाएं !

हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए इस प्रकारके प्रत्यक्ष कृत्य करनेवाले कृतिशील धर्माभिमानी ही हिंदू धर्मकी शक्ति हैं । आईए हिंदू विश्व बनानेका ध्येय सामने रखें |

हिंदुओंको मार्गदर्शन करनेके लिए ‘हिंदू भवन’ होना चाहिए ! – प्रमोद मुतालिक, अध्यक्ष, श्रीराम सेना

मुसलमान और ईसाइ दोनों धर्मियोंके लिए मस्जिद एवं चर्च केंद्रबिंदू हैं । हिंदुओंको मार्गदर्शन करनेके लिए ‘हिंदू भवन’की संकल्पना कृतिमें लाना आवश्यक है |

हिंदुसंगठनके द्वारा ही गोरक्षा जैसे समस्याओंपर मात करना संभव होगा

अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनकेअगले दिनके अंतिम सत्रमें ‘गोरक्षा’ विषयपर गुटचर्चाका आयोजन किया गया था । इस समस्यापर मात करना परिणामकारक हिंदूसंगठनद्वारा ही संभव होगा ।

हिन्दू अधिवेशन के आयोजनद्वारा हिंदू राष्ट्र स्थापनाका शुभारंभ – डॉ. सच्चिदानंद शेवडे

समितिद्वारा अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन आयोजित करके हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाका शुभारंभ हुआ है, ऐसा मत राष्ट्रीय प्रवचनकार डॉ. सच्चिदानंद शेवडेने यहां व्यक्त किया ।

समितिके प्रबोधनके कारण हिंदुओंमें कश्मीरी हिंदुओंके प्रति धर्मबंधुत्वकी भावना

हिंदू जनजागृति समितिने कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचारोंके छायाचित्र प्रदर्शनीको कई राज्योंमें २६३ स्थानोंपर दिखाया । इससे हुए प्रबोधनके कारण कश्मीरी हिंदुओंका मनोबल बढा ।

‘अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके प्रथम दिनके चर्चासत्रोंका संक्षेपमें ब्यौरा

‘धार्मिक दंगेविरोधी कानून’, ‘मंदिरोंकी दयनीय स्थिति एवं उसकी रक्षाके उपाय’ और ‘मंदिरोंके सरकारीकरण’ इस विषयपर हुए चर्चासत्रमें धर्माभिमानियोने विचार प्रस्तुत किए |

भारतीय वंशकी गायोंके विषयमें ब्राजीलद्वारा भारतीयोंका प्रबोधन करना, लज्जास्पद ! – श्री. नटेशन्

विश्वभरमें केवल १८ कोटि गायें हैं । उनमेंसे अधिकांश भारतमें हैं । फिर भी भारतमें ‘जर्सी’ नामक विदेशी गायोंकी संख्या बढ रही है ।