सूक्ष्म की अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना आवश्यक !

मनुष्य कितना भी बलवान है, उसके पास शस्त्र हो, फिर भी उसे कीटाणूनाशक औषधियों का सेवन करना पडता है; क्योंकि कीटाणू सूक्ष्म होते हैं । उसी प्रकार अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना करनी पडती है । पाश्‍चात्त्यों को केवल कीटाणू समझ में आए जबकि अपने संतों एवं ऋषियों को सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्व समझ में … Read more

अध्यात्म आैर विज्ञान में अंतर

विज्ञान में, जानकारी एकत्र कर प्रश्‍न का उत्तर ढूंढना पडता है । इसके विपरीत अध्यात्म में, जानकारी एकत्र किए बिना ही प्रत्येक प्रश्‍न का उत्तर तत्काल मिलता है ।

हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक न होने के कारण . . .

बौद्ध, जैन, ईसाई, इस्लाम आदि धर्म के (यर्थार्थ रूप से संप्रदायों के) संस्थापक हैं; परंतु हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक नहीं है । इसके कारण आगे दिए अनुसार हैं। १. धर्म इतना अथाह है कि, कोई एक उसे स्थापित नहीं कर सकता । २. धर्म में कालमहात्म्य के अनुसार जो परिवर्तन होता है, उसे बताने … Read more

अनादी हिन्दू धर्म !

सनातन (हिन्दू) धर्म में अन्य धर्मों के समान (पंथों के समान) अन्य धर्मों को अपने धर्म में लाए, ऐसा नहीं है, क्योंकि जब सनातन हिन्दू धर्म अस्तित्व में आया, तबसे लाखों वर्ष अन्य पंथ / धर्म अस्तित्व में ही नहीं थे ।

हिन्दू राष्ट्र आैर आरक्षण

हिन्दू राष्ट्र में जाति नहीं रहेगी । इसलिए आरक्षण मिलने का प्रश्न उपस्थित नहीं होगा । राष्ट्रहित के लिए सभी पद पर गुणों के अनुसार नियुक्ति की जाएगी ।

पाश्‍चात्त्य वैद्यकीय प्रणाली क्या कभी परिपूर्ण उपाय कर सकेगी ?

व्यक्ति की प्रकृति वात, पित्त अथवा कफ प्रधान है, तथा उसका प्रारब्ध क्या है, इससे अनभिज्ञ पाश्‍चात्त्य वैद्यकीय प्रणाली क्या कभी परिपूर्ण उपाय कर सकेगी ?

भगवान द्वारा परिपूर्ण हिन्दू धर्म में जन्म देने के कारण कृतज्ञता बढती गई ।

हिन्दू धर्म का जितना भी अभ्यास किया, उतनी मात्रा में भगवान द्वारा ऐसे परिपूर्ण हिन्दू धर्म में जन्म देने के कारण कृतज्ञता बढती गई ।