स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन काे कलियुग में प्राधान्य रहेगा !

स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन करने पर किसी भी साधनामार्ग से साधना कर शीघ्र उन्नति करना संभव होता है । पूर्व के युग में स्वभावदोष एवं अहं का प्रमाण अधिक न होने से स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन करने की आवश्यकता नहीं थी, वे अपने आप नष्ट होते थे ।

हिन्दू राष्ट्र में क्षमता के अनुसार नौकरियां देने से प्रशासन सक्षम रहेगा

‘हिन्दू राष्ट्र’ में जाति, धर्म इत्यादि के अनुसार आरक्षण नहीं रहेगा, अपितु क्षमता के अनुसार ही नौकरियां देने से प्रशासन सक्षम रहेगा । इसलिए जनता के सभी प्रश्‍न अनेक वर्षों तक प्रलंबित न रख कर तत्काल उनका समाधान निकाला जाएगा ।

बुद्धिप्रामाण्यवादी आैर साधक

बुद्धिप्रामाण्यवादी अर्थात प्राणियों समान स्वेच्छा से आचरण करनेवाले तथा साधक अर्थात परेच्छा एवं ईश्‍वरेच्छा से आचरण करनेवाले !

भक्तियोग में होनेवाली समष्टि साधना !

अत्यधिक लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि, भक्तियोग में केवल व्यष्टि साधना होती है । परंतु प्रत्यक्ष में वैसा नहीं है, अपितु भक्त की ओर अन्य लोग आकर्षित होते हैं एवं उनके मार्गदर्शनानुसार साधना करने लगते हैं । इसलिए उनकी समष्टि साधना भी होती है ।

जिस प्रकार कुछ लोग अंधों का अनुकरण करते हैं, उसी…

जिस प्रकार कुछ लोग अंधों का अनुकरण करते हैं, उसी प्रकार कुछ हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यावादियों का अनुकरण करते हैं; इसलिए अंधे के खाई में गिरने पर उसका अनुकरण करनेवाले भी उसी खाई में गिर जाते हैं । उसी प्रकार ऐसे हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यादियों के साथ अधोगति की ओर जा रहे हैं !’

‘अनपढ लोगों का, ‘सूक्ष्म जंतु नहीं है’, यह कहना जितना…

‘अनपढ लोगों का, ‘सूक्ष्म जंतु नहीं है’, यह कहना जितना हास्यास्पद है, उतना ही हास्यास्पद है बुद्धिप्रामाण्यवादियों का यह कहना कि ‘भगवान नहीं है’ !

‘विज्ञान केवल स्थूल पंचज्ञानेंद्रियों के संदर्भ में ही संशोधन करता…

‘विज्ञान केवल स्थूल पंचज्ञानेंद्रियों के संदर्भ में ही संशोधन करता है, किंतु अध्यात्म केवल स्थूल एवं सूक्ष्म ही नहीं, अपितु सूक्ष्मतर एवं सूक्ष्मतम का भी विचार करता है !’

हिन्दुत्ववादियों की दयनीय सद्यस्थिति !

यदि गायों की हत्या हुई, तो गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगों पर उस का कोई परिणाम नहीं होता एवं गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगोंपर पुलिस ने लाठीहल्ला किया, तो गोरक्षकों पर उसका कोई परिणाम नहीं होता ! प्रत्येक को ‘हिन्दुओं के सभी प्रश्‍न मेरे ही हैं, ऐसा प्रतीत होगा, उसी समय ‘हिन्दू राष्ट्र’ … Read more

राजनेताओं के अनुसार कुछ संतों के पास भी होती है वंशपरंपरा !

‘कुछ संतों के शिष्य अच्छे स्तर के होते हुए भी वे अपने उत्तराधिकारी के रूप में विशेष साधना न होनेवाले अपने पुत्र की नियुक्ति करते हैं !’

कहां अपने १-२ बालकों भी नियंत्रण में रखकर उनपर संस्कार न करनेवाले आजकल के अभिभावक . . .

‘कहां अपने १-२ बालकों भी नियंत्रण में रखकर उनपर संस्कार न करनेवाले आजकल के अभिभावक, तो कहां अपने सहस्रों भक्तों पर साधना के संस्कार करनेवाले संत तथा गुरु !’