आयोध्या राम मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, अपितु आस्था, एकता, और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। मंदिर का निर्माण भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना है, जो सत्य, न्याय, और धर्म की विजय का प्रतीक है। मंदिर हिन्दुओं की स्थायी भावना और प्रभु श्रीराम के प्रति उनकी अटूट भक्ति का प्रमाण है। 22 जनवरी 2024 को आयोध्या राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठापना के अवसर पर तैयारियां शुरु है। यह मंदिर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता का स्थान होने का वचन देता है। यह भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक स्मारक है, और प्रभु श्रीराम की स्थायी विरासत का प्रमाण है। आइए, इस आनंदोत्सव में भाग लें और प्रभु श्रीराम का राम मंदिर में तथा हमारे हृदय में स्वागत करें ! और हमे यही नही रूकना है, क्योंकि सामने जाकर राम राज्य हमारी प्रतीक्षा में है…
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मनाने के विषय में जागृति निर्माण करें !
घर के सामने दीप जलाकर प्रभु श्रीराम का स्वागत करें
घर पर भगवा ध्वज फहराकर भक्ति जागृत करें
श्रीराम तत्त्व की सात्विक रंगोलियां बनाएं
श्रीराम की पूजा-अर्चना कर रामराज्य के लिए प्रार्थना करें
श्रीराम का नामजप सुनें
आइए, इस सुनहरे अवसर पर संकल्प करें…
‘श्रीराम जय राम जय जय राम।’ नामजप करें
एक दूसरे को ‘जय श्रीराम’ कहकर अभिवादन करें
हर मंदिर स्वच्छ रखने का निश्चय करें
प्रतिदिन कम से कम एक घंटा धर्मकार्य के लिए दें
राम राज्य (हिन्दू राष्ट्र) की स्थापना में योगदान दें…
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्यरत संगठनों को यथाशक्ति दान करुंगा
मेरे परिवार और मित्रों को धर्मशिक्षा देने के लिए व्याख्यान आयोजित करूंगा
बच्चों में राष्ट्र एवं धर्मप्रेम को बढाने के लिए बालसंस्कार वर्ग का आयोजन करूंगा
मेरे हिन्दू साथियों को उनके कर्तव्य के प्रति जागृत करने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन करूंगा
राष्ट्र और धर्म सम्बन्धी पुस्तकों का प्रायोजक बनकर वितरण करूंगा
राष्ट्र और धर्म सम्बन्धी पर्चे (पाम्पलेट्स) का प्रायोजक बनकर वितरण करूंगा
जागरूकता निर्माण करने के लिए जानकारी देनेवाला फलक लगाकर उसे नियमित रूप से अद्यतन करूंगा
मेरे सोशल मीडिया समूह का उपयोग राष्ट्र और धर्म के विषय में होनेवाले पोस्ट साझा करने के लिए करूंगा
मेरे परिवार तथा धर्म की रक्षा के लिए स्वरक्षा प्रशिक्षण सीखूंगा
स्वयं में राम राज्य का निर्माण करें और आदर्श श्रीराम भक्त बनें !
राममंदिर हेतु हिन्दू जनजागृति समिति का आध्यात्मिक स्तर पर योगदान
राममंदिर हेतु ‘श्रीरामनाम संकीर्तन अभियान’ के माध्यम से महत्त्वपूर्ण सहभाग !
‘राम से बडा राम का नाम’ की रामभक्तों को हुई अनुभूति !
पिछले अनेक वर्षों से रामजन्मभूमि का निर्णय न्यायालय में लंबित था; अतः अयोध्या में प्रभु श्रीराम छोटी तिरपाल में बंदी होने के समान विराजमान थे। प्रभु श्रीराम को उनके अपने ही मंदिर में पुनः विराजमान करने हेतु न्यायालय का निर्णय आना आवश्यक था। यह निर्णय शीघ्र हो; इसके लिए रामभक्तों द्वारा किया रामनाम जप तथा हिन्दुओं द्वारा घर-घर की गई प्रार्थना के कारण रामजन्मभूमि का निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में हुआ। जिस प्रकार वानरसेना ने रामसेतु निर्माण के समय ‘राम से बडा राम का नाम’ अनुभव करते हुए सेतु-निर्माण किया था और श्रीरामजी के साथ वानरों ने लंका जीत ली थी, उसी प्रकार उपरोक्त निर्णय के कारण समस्त रामभक्तों को पुनः एक बार इसकी अनुभूति हुई है।
श्रीरामनाम संकीर्तन अभियान से संबंधित प्रमुख गतिविधियां
राममंदिर निर्माण हेतु अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन एवं विविध प्रांतीय अधिवेशनों में पारित प्रस्ताव !
वर्ष २०१२ से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही देश के विविध राज्यों में प्रांतीय एवं जनपद स्तरीय अधिवेशन भी किए जाते हैं। जनवरी २०१९ में प्रयागराज के कुंभक्षेत्र में संतसमाज एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का एक दिवसीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ था। इन सभी अधिवेशनों में प्रस्ताव पारित कर मांग की जाती रही है कि ‘रामजन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण हेतु केंद्र सरकार अध्यादेश जारी कर हिन्दू समाज की धर्मभावनाओं का सम्मान करे।’ इस मांग के परिप्रेक्ष्य में कुंभनगरी में २ आंदोलन तथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, उत्तर प्रदेश, देहली, आंध्र प्रदेश आदि २० से भी अधिक स्थानों पर राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किया गया। इन आंदोलनों के संपन्न होने पर रामभक्त, विभिन्न आध्यात्मिक संस्थाएं, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, हिन्दू जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था की ओर से शासन को ज्ञापन सौंपे गए।
हिन्दू राष्ट्र के
कार्य में
आपकी आवश्यकता है
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प्रभु श्रीराम पुन: पधारे..
1528
माना जाता है कि प्रभु श्रीराम को समर्पित इस मंदिर को मुगल तानाशाह बाबर के शासनकाल के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था
1853
पहला दर्ज किया हुआ विवाद तब उठता है, जब हिंदू इस स्थान पर प्रभु श्रीराम का जन्मस्थान होने का दावा करते हैं और पूजा के लिए चबूतरा बनाने का प्रयास करते हैं।
1857
ब्रिटिश प्रशासन ने हिंदू और मुसलमानों के लिए पूजा के अलग-अलग क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए, साइट के चारों ओर एक बाड लगा दी
1885
महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी। न्यायालय ने याचिका अस्वीकृत कर दी
1949
1949 में विवादित ढांचे में प्रभु श्रीराम की मूर्तियां दिखाई दीं। सरकार ने परिसर को विवादित क्षेत्र करार दिया और द्वार पर ताला लगा दिया। राम मंदिर के लिए कानूनी लडाई तेज हो गई
1950
गोपाल सिमला विहारद और परमहंस रामचन्द्र दास द्वारा फैजाबाद न्यायालय में दो मुकदमे प्रविष्ट किए गए हैं, जिसमें राम लला के लिए हिन्दुओं को पूजा आयोजित करने की अनुमति मांगी गई। न्यायालय ने पूजा-अर्चना की अनुमति दी। न्यायालय ने आंतरिक प्रांगण के द्वारों को बंद रखने का आदेश दिया
1959
निर्मोही अखाड़े ने भूमि पर नियंत्रण पाने के लिए तीसरा मुकदमा प्रविष्ट किया
1961
उत्तरप्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद स्थल पर नियंत्रण पाने के लिए मुकदमा प्रविष्ट करते हुए बाबरी मस्जिद से प्रभु श्रीराम की मूर्तियां हटाने की मांग की
1983
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए राम- जन्मभूमि आंदोलन आरंभ किया
1 February, 1986
एक वकील यू सी पांडे ने फैजाबाद सत्र न्यायालय के समक्ष आंतरिक प्रांगण के दरवाजे खोलने की मांगकी, इस आधार पर कि फैजाबाद जिला प्रशासन ने इसे बंद करने का आदेश दिया था, न कि न्यायालय ने। जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को ‘पूजा और दर्शन’ की अनुमति देने के लिए ताले हटाने का आदेश दिया। विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (बीएमएसी) का गठन किया
1989
सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवकी नंदन अग्रवाल, जो तब विहिप के उपाध्यक्ष थे, उन्होंने विवादित भूमि के स्वामित्व का दावा करते हुए मुकदमा क्रमांक पांच दायर किया और रामलला विराजमान के नाम से होनेवाले पुराने ढांचे के स्थान पर एक नई इमारत बनाने की अनुमति मांगी
November, 1989
विहिप ने अयोध्या में शिलान्यास समारोह आयोजित किया और नियोजित राम मंदिर का पहला पत्थर रखा गया…
September, 1990
भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने के लिए सोमनाथ (गुजरात) से अयोध्या (यूपी) तक रथ यात्रा शुरू की। यात्रा के दौरान बिहार में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया
November, 1990
अयोध्या में विहिप नेताओं के नेतृत्व में कारसेवकों की उत्तर प्रदेश पुलिस से झडप, पुलिस ने भीड को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया। सैंकडो कारसेवक मारे गए
6 December, 1992
एक ऐतिहासिक क्षण…
बाबरी मस्जिद गिरती है। कारसेवकों ने उस स्थान पर एक अस्थायी मंदिर का निर्माण किया
1994
सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक इस्माइल फारुकी निर्णय में कहा कि, मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं हैं
April 2002
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अयोध्या स्वामित्व विवाद पर सुनवाई शुरू की। न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद के नीचे कोई मंदिर था या नहीं।
March – August 2003
एएसआई ने विवादित स्थल के नीचे की जमीन की खुदाई की और 10वीं सदी के हिंदू मंदिर के अवशेष मिले
30 September, 2010
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाते हुए भूमि को तीन पक्षों के बीच विभाजित किया: एक तिहाई सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए, एक तिहाई निर्मोही अखाड़े के लिए और एक तिहाई रामलला विराजमान के लिए।
9 May, 2011
सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाई और कहा कि, यथास्थिति बनी रहेगी
6 August, 2019
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले की प्रतिदिन सुनवाई शुरू की।
9 November, 2019
सदियों पुराना विवाद समाप्त हुआ। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित क्षेत्र हिंदुओं को सौंप दिया और सरकार को मंदिर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया
5 February, 2020
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की निगरानी के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना को मंजूरी दी
5 August, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की आधारशिला रखी गई
प्रभु श्रीराम की कथाएं
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