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मकर संक्रांति

 

इस दिन सूर्यका मकर राशिमें संक्रमण होता है । सूर्यभ्रमणके कारण होनेवाले अंतरकी पूर्ति करने हेतु प्रत्येक अस्सी वर्षमें मकर संक्रांतिका दिन एक दिन आगे बढ जाता है । आजकल मकर संक्रांति १५ जनवरीको पडती है । संक्रांतिको देवता माना गया है । ऐसी कथा प्रचलित है, कि संक्रांतिने संकरासुर दानवका वध किया ।

मकर संक्रांति का महत्त्व

इस दिन सूर्यका उत्तरायण आरंभ होता है । कर्क संक्रांतिसे मकर संक्रांतितकके कालको दक्षिणायन कहते हैं । जिस व्यक्तिकी उत्तरायणमें मृत्यु होती है, उसकी अपेक्षा दक्षिणायनमें मृत्युको प्राप्त व्यक्तिके लिए, दक्षिण (यम) लोकमें जानेकी संभावना अधिक होती है ।

 संक्रांतिविषयक पंचांगमें जानकारी

पंचांगमें संक्रांतिका रूप, आयु, वस्त्र, गमनकी दिशा इत्यादि जानकारी दी हुई है । यह जानकारी कालमाहात्म्यानुसार संक्रांतिमें होनेवाले परिवर्तनानुरूप होती है । संक्रांतिदेवी जिसका स्वीकार करती है, उसका नाश होता है ।

मकरसंक्रांतिका साधनाकी दृष्टिसे महत्त्व

इस दिन सूर्योदयसे सूर्यास्ततक वातावरण अधिक चैतन्यमय होता है । साधना करनेवालेको इस चैतन्यका लाभ होता है ।

मकर संक्रांति – त्यौहार मनानेकी पद्धति

 १. मकर संक्रांतिके कालमें तीर्थस्नान करनेपर महापुण्य मिलना

‘मकर संक्रांतिपर सूर्योदयसे लेकर सूर्यास्ततक पुण्यकाल रहता है । इस कालमें तीर्थस्नानका विशेष महत्त्व हैं । गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियोंके किनारे स्थित क्षेत्रमें स्नान करनेवालेको महापुण्यका लाभ मिलता है ।’

२ पर्वकालमें दानका महत्त्व

मकर संक्रांति से रथसप्तमी तक का काल पर्वकाल होता है । इस पर्वकाल में किया गया दान एवं पुण्यकर्म विशेष फलप्रद होता है । धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन दान, जप और धार्मिक अनुष्ठानों का बहुत महत्व होता है । इस दिन दिया गया दान पुनर्जन्म के बद सौ गुना प्राप्त होता है । के कार्य हेतु धन के रूप में दान करें –

३ दान योग्य वस्तुएं

‘नए बर्तन, वस्त्र, अन्न, तिल, तिलपात्र, गुड, गाय, घोडा, स्वर्ण अथवा भूमिका यथाशक्ति दान करें । इस दिन सुहागिनें दान करती हैं । कुछ पदार्थ वे कुमारिकाओंसे दान करवाती हैं और उन्हें तिलगुड देती हैं ।’ सुहागिनें जो हलदी-कुमकुमका दान देती हैं, उसे ‘उपायन देना’ कहते हैं ।

४ उपायन देनेका महत्त्व

‘उपायन देना’ अर्थात तन, मन एवं धनसे दूसरे जीवमें विद्यमान देवत्वकी शरणमें जाना । संक्रांति-काल साधनाके लिए पोषक होता है । अतएव इस कालमें दिए जानेवाले उपायनसे देवताकी कृपा होती है और जीवको इच्छित फलप्राप्ति होती है ।

५ उपायन में क्या दें ?

आजकल साबुन, प्लास्टिककी वस्तुएं जैसी अधार्मिक सामग्री उपायन देनेकी अनुचित प्रथा है । इन वस्तुओंकी अपेक्षा सौभाग्यकी वस्तु, उदबत्ती (अगरबत्ती), उबटन, धार्मिक ग्रंथ, पोथी, देवताओंके चित्र, अध्यात्मसंबंधी दृश्यश्रव्य-चक्रिकाएं जैसी अध्यात्मके लिए पूरक वस्तुएं उपायनस्वरूप देनी चाहिए ।

मकर संक्रांतिके कालमें सौभाग्यवतीको सात्त्विक भेंट देनेके सूक्ष्म-स्तरीय लाभ दर्शानेवाले चित्र

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(संदर्भ-सनातनका ग्रंथ – त्यौहार, धार्मिक उत्सव एवं व्रत)

मकर संक्रांतिके लिए सात्त्विक वस्तुएं भेंट देना एवं तिलका महत्त्व

मकर संक्रांतिके लिए सात्त्विक वस्तुएं भेंट करनेसे आध्यात्मिक लाभ होता हैं । एक सौभाग्यवती स्त्रीका दूसरी सौभाग्यवती स्त्रीको उपायन (भेंट) देकर उसकी गोद भरती हैं ।