‘महामोर्चा’ के लिए रास्ते पर उतरे हजारों
गढ-दुर्ग प्रेमियों की मांगों को मिली सफलता !
छ. शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज्य का अविभाज्य अंग थे, उनके द्वारा दूरदर्शिता से बनवाए गए गड-दुर्ग ! पराक्रमी इतिहास के साक्षी इन गड-दुर्गाें की आज उपेक्षा की जा रही है । जहां गड-दुर्गाें की अवस्था दयनीय हो रही है, वहीं षड्यंत्रपूर्वक अतिक्रमण भी किया जा रहा है । गडों पर अवैध कब्रें, दरगाह तथा मस्जिदें बन रही हैं और सरकार का पुरातत्व विभाग उनकी पूर्णतः अनदेखी कर रहा है ! इसे आज नहीं रोका गया, तो एक दिन इन गड-दुर्गाें के इतिहास का इस्लामीकरण हो जाएगा ! अतः गड-दुर्ग महामंडल स्थापित कर महाराज के शौर्य स्मारकों का रक्षण व संवर्धन आवश्यक है !
इसके लिए ‘महाराष्ट्र गढ-दुर्ग रक्षा समिति’ आयोजित ‘गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा’ में राज्यभर से गढ-दुर्गप्रेमी संगठनों के 1500 से भी अधिक शिवप्रेमी सम्मिलित हुए थे। महाराष्ट्र के सर्व गढ-दुर्गाें का संवर्धन, उनकी रक्षा करने एवं उन पर अतिक्रमण दूर करने के लिए स्वतंत्र ‘गढ-दुर्ग महामंडल’की स्थापना आनेवाले तीन महिनों में की जाएगी । एक निश्चित कालमर्यादा निर्धारित कर सभी गढ-दुर्गाें पर अतिक्रमण हटाया जाएगा, इसके साथ ही उर्वरित सभी मांगों के संदर्भ में अर्थसंकल्पीय अधिवेशन होने के उपरांत सभी दुर्गप्रेमी संगठनों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक आयोजित की जाएगी, ऐसा ठोस आश्वासन राज्य के पर्यटन, महिला एवं बालविकास मंत्री श्री. मंगलप्रभात लोढा ने ‘गढ-दुर्ग रक्षा महामोर्चा’के समापन पर दिया ।
महाराष्ट्र गड-दुर्ग रक्षण समिति की प्रमुख मांगें !
राज्य के सभी गड-दुर्गाें पर हो रहे अतिक्रमण समयसीमा निर्धारित कर हटाएं !
अतिक्रमणों के लिए जिम्मेदार पुरातत्व एवं प्रशासकीय अधिकारियों पर कार्रवाई करें !
गड-दुर्गाें पर अतिक्रमण करनेवालों का पुनर्वास शासकीय खर्च से न करें !
‘महाराष्ट्र गड-दुर्ग संवर्धन महामंडल’ गठित कर गड-दुर्गाें का संवर्धन करें !
गड-दुर्ग रक्षण महामोर्चा की क्षणिकाएं
View Photo Gallery
छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य में किलों का अनन्य महत्त्व था । ये किले वर्तमान पीढी को प्रेरणा देते हैं; परंतु इनकी उचित देखभाल न होने के कारण टूट-फूट हो रही है । इसे हमारी यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने की आशंका उत्पन्न हुई है । एक तरफ हमारी निर्मित विरासत का संरक्षण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, वहीं दूसरी तरफ इन पर अवैध अतिक्रमण के जरिए कानून-व्यवस्था का सीधा उल्लंघन हो रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत पर अतिक्रमण के प्रयासों से इस्लामवादियों द्वारा अपनाई जाने वाली बेशर्म रणनीति का पता चलता है और हमारी विरासत की सुरक्षा के लिए चुनौतियों को रेखांकित करता है। 21वीं सदी के आक्रमणकारियों ने अब हिंदुओं की बेशकीमती विरासत में सीधे तौर पर हिस्सेदारी का दावा कर दिया है। यह हिंदुओं के लिए एक संदेश है कि आक्रमण और विजय जारी रहेगी, क्योंकि इस्लामवादी छत्रपति शिवाजी के किलों को हड़पना चाहते हैं, जिसे मुगल नहीं कर सके थे। सातारा में प्रतापगढ़ की नींव के निकट अफजल खान मकबरे के पास अवैध निर्माण को सरकार ने 10 नवंबर 2022 को हटा दिया था; हालांकि, राज्य में विशालगढ़, लोहगढ़, कोलाबा, दुर्गादी, मलंगगढ़, माहिम, शिवड़ी आदि किलों में इसी तरह के अवैध निर्माण बढ़ रहे हैं। यह सभी अवैध निर्माण खुलेआम हो रहे हैं और इसके खिलाफ समय-समय पर शिकायत करने के बावजूद पुरातत्व विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
Sign Petition
गड-दुर्गाें की रक्षा हेतु हस्ताक्षर अभियान में सम्मिलित हों !
Request you to please send the email with this demand to Hon’ble Chief Minister, Cultiral Minister of Maharashtra and Director General, Archaeological Survey of India by clicking on the below button. Request you to send a copy of the email to [email protected] (Note: ‘Send Email’ button will work only on Mobile)
गड-दुर्ग रक्षा के लिए हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य
समिति एवं हिंदुत्वनिष्ठों को मिली सफलताएं
हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में सम्मिलित हो !
इस्लामी अतिक्रमण हुए गड-दुर्ग !
ठाणे के दुर्गाडी गड पर ईद पर नमाज पढते हैं, तब मंदिर में पूजा प्रतिबंधित होती है ।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने केवल हिन्दवी स्वराज्य ही नहीं, अपितु जिस किले पर भारतीय नौसेना की नींव रखी, उस दुर्गाडी किले का आधा क्षेत्र अब धर्मांधों का धार्मिक केंद्र बन चुका है । इस क्षेत्र में हिन्दुओं को स्थाईरूप से प्रवेशबंदी की गई है । ईदगाह के लिए यहां एक दीवार का निर्माण किया गया है, जिसका इतिहास में कोई संदर्भ नहीं मिलता । किले पर स्थित इस अवैध ईदगाह की सुरक्षा के लिए २४ घंटे राज्य रिजर्व बल के पुलिसकर्मी रखे गए हैं । कुछ वर्ष पूर्व यहां २७ पुलिसकर्मी थे । अब यह संख्या ८ तक पहुंच गई है । इस अवैध ईदगाह की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार लाखों रुपए का व्यय कर रही है ।
प्रवेशबंदी के आदेश का उल्लंघन कर लोहगढ किले पर अवैधरूप से दरगाह का निर्माण
कोरोना काल में लोहगढ पर स्थित अवैध कबर के इर्द-गिर्द ५-६ फीट की पक्की दीवारें बनाई गई हैं । लगभग वर्ष २००० में हुसैन बाबा शेख ने लोहगढ पर अवैध कबर बनाई । उसके उपरांत वहां प्रतिवर्ष उर्स का अवैध आयोजन करना आरंभ किया है । अब उस स्थान पर विशाल दरगाह बनाई गई है । इसमें विशेष बात यह कि प्रवेशबंदी का आदेश होते हुए भी पुरातत्त्व विभाग ने इस अवैध निर्माणकार्य के लिए किले के द्वार खोल दिए । इससे पुरातत्व विभाग गढों-किलों के संवर्धन के लिए है अथवा उन पर हो रहे अवैध निर्माणकार्याें को संरक्षण देने के लिए है ?, यह प्रश्न उठ रहा है ।
मुंबई के शिवडी किले के प्रवेशद्वार पर होनेवाले दरगाह का अवैध विस्तार
मुंबई के शिवडी किले के प्रवेशद्वार पर सैय्यद जलाल शाह दरगाह का अस्तित्व बढता ही जा रहा है । इस किले के प्रवेशद्वार पर लगभग १ एकर भूमि में दरगाह शरीफ हजरत सैय्यद जलाल शाह दरगाह और उससे संबंधित वास्तुओं का निर्माण किया गया है। यहां दरगाह की बडी वास्तु का निर्माण किया गया है तथा उसके रखकखाव के लिए एक मुसलमान परिवार भी वहां बंसाया गया है । किले के प्रवेशद्वार के बाहर ही कई हरे ध्वज लगाए गए हैं । उसके कारण यहां किले के स्थान पर इस्लाम के धार्मिक केंद्र के रूप में इस दरगाह का महिमामंडन किया जा रहा है । इस अवैध निर्माणकार्य की ओर पुरातत्व विभाग अनदेखी कर रहा है ।
हिन्दुओं के पवित्र श्रीक्षेत्र मलंगगड वक्फ बोर्ड के नाम करने का प्रयास !
श्री मलंगगड पर नवनाथ में से सात नाथों की समाधि है, साथ ही नाथपंथीय साधू मलंगबाबा का समाधि स्थल है । वर्ष २००४ में काँग्रेस एवं राष्ट्रवादी काँग्रेस की संयुक्त सरकार के काल में सरकारने इस भूमि को वक्फ बोर्ड की भूमि घोषित किया है । इसके विरोध में वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं ठाणे के श्री. दिनेश देशमुख ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । यह विषय अभी न्यायप्रविष्ट है; किंतु पिछले कुछ वर्षाें से यहां मुसलमान स्वयं की बस्ती बढाकर मलंगगड हडपने का प्रयास कर रहे है ।
विशाळगड पर हुए ६४ अतिक्रमण !
छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणस्पर्श से पावन हुए दुर्ग महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर हैं । वहां के विविध स्मारक पराक्रम के साक्षी प्रेरणास्थल हैं । इतिहासकारों के विचार में स्वराज्य पर आक्रमण करने के लिए आया सरदार ‘मलिक रेहान’ मारा गया । उसी के नाम से (रेहानबाबा) यहां प्रतिवर्ष मेला (उरूस) लगाया जाता है, साथ ही रेहानबाबा के नाम से बडा आर.सी.सी. दरगाह भी गड पर बनाया गया है । उसके दर्शन और मनौती मांगने के लिए प्रतिदिन अनेक लोग यहां आते हैं । इस गड के 64 से अधिक स्थानों पर भारी संख्या में अतिक्रमण किया गया है। इस अतिक्रमण को ‘ग्रामपंचायत गजापूर विशालगड’ ने अवैध बताकर इस निर्णाण को तुरंत हटाने के लिए कोल्हापूर के जिलाधिकारी को पत्र भेजा है।
माहिम किले पर काॅलोनी बनाकर पूरे किले पर कब्जा करने का धर्मांधों का षड्यंत्र
मुंबई के माहिम किले पर पूरी तरह अतिक्रमण किया गया है। इस किले का प्रवेश द्वार लोहे की जाली से बंद किया गया है और प्रवेश द्वार से ही किले में अवैध बस्ती है। यहां मुसलमानों की बस्ती अधिक मात्रा में है, तो यहां कुछ हिंदुओं के भी घर हैं। संपूर्ण किले पर ही अतिक्रमण किया गया है। किले के प्रवेशद्वार पर केवल पुरातत्व विभाग का ही एक फलक बाकी है।
कुलाबा किले पर भी अवैध मजार !
कुलाबा दुर्ग पर होनेवाले पुरातत्व विभाग कार्यालय के समीप ही २ वर्ष पूर्व स्थानिक मुसलमानों ने अवैध मजार का निर्माण किया। इस किले पर खडी की गई अवैध मजार को सफेद रंग दिया गया है । ऐसे छोटे अवैध मजारों का रूपांतर बाद में दर्गाह और आगे जाकर मस्जिदों में किया जाता है। यहां को शिवप्रेमियो ने पिछले वर्ष यह निर्माण हटाया था; किंतु पुन: वहां पक्का निर्माण कर मजार का निर्माण किया गया। पुलिस, प्रशासन, पुरातत्व विभाग एवं राजकीय नेताओं ने दुर्लक्ष करने के कारण पिछले अनेक वर्षाें से महाराष्ट्र के गड-दुर्गों पर अवैध निर्माण बढ रहे है। जिसप्रकार अफजलखान कब्र के पास का अवैध निर्माण हटाने की सरहानीय कृती सरकार ने की, उसीप्रकार राज्य के सभी गड-दुर्गों पर हुआ अवैध निर्माण सरकार तुरंत हटाए, ऐसी राष्ट्रप्रेमियों की अपेक्षा है ।