जिनका केवल नाम लेने से युवकों में राष्ट्रभक्ति जागृत हो जाती थी, ऐसे थे लोकमान्य तिलक के समय के वासुदेव बलवंत फडके । वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केआद्य क्रांतिकारी थे । उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सशस्त्र मार्ग का अनुसरण किया ।सातारा की निर्भीक तथा स्वामी भक्त रामोशी जाति से संपर्क किया । धन एकत्र करने के लिए पुणे, पनवेल क्षेत्र के साहुकारोंपर छापा मारा । अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए लोगों को जागृत करने का कार्य वासुदेव बलवंत फडकेने किया । २०.७.१८७९ को बीजापुर में उन्हें पकड लिया गया । अभियोग चला कर उन्हें काले पानी का दंड दियागया । अत्याचार से दुर्बल होकर एडन के कारागृह में उनका देहांत हो गया ।