युवको, ‘फ्रेंडशिप डे’ समान पाश्चात्त्य विकृति पर बलि न चढे, अपितु धर्मशिक्षा लेकर हिन्दू संस्कृति समान आचरण करें !
अगस्त माह के प्रथम रविवार को युवा वर्गद्वारा ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाया जाता है । इस वर्ष ३ अगस्ता के ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाया जाएगा । मैत्री दिन के नाम पर इस दिन मित्रों को प्रीतिभोज देना, मैत्री के प्रतीक के रूप में एक-दूसरे के हाथ में फ्रेंडशिप बैंड बांधना आदि घटनाएं भारी मात्रा में होती हैं । विद्यालय एवं महाविद्यालयों में इसका प्रमाण लक्षणीय है । क्या वास्तव में कोई एक बैंड बांधकर मैत्री में वृद्धि होती है ? एक-दूसरे को संकट के समय सहाय्य करने एवं मित्र अथवा सहेली का कदम अयोग्य दिशा से जाते समय उसे सहाय्य करने को खरी मैत्री कहते हैं । एक-दूसरे को अडचन के समय सहाय्य करने के अनेक उदाहरण हिन्दुओं के प्राचीन इतिहास में देखने को मिलते हैं, जिसमें एक है श्रीकृष्ण-सुदामा ! परंतु वर्तमान समय के हिन्दू पाश्चात्त्यों के अधीन जाकर ऐसी मैत्री का केवल प्रदर्शन करने में बडप्पन मानते हैं । वास्तव में राष्ट्रपर जब संकट छाया हो, तो ऐसे बेकार दिन मनाने की अपेक्षा सभी मित्र लोगों को धर्म एवं हिन्दू संस्कृति पर होनेवाले आघातों के संदर्भ में प्रबोधन कर उन्हें राष्ट्रकार्य के लिए सक्रिय करना ही खरे राष्ट्र-धर्मप्रति खरा सख्य है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात