कचरा

१. ‘औद्योगिकीकरण समाप्त करें अन्यथा वही आपको समाप्त कर देगा । संपूर्ण मानवजाति को ही नष्ट कर देगा; क्योंकि विश्व के विशाल राक्षसी कारखानों से जितना प्रचंड उत्पादन होता है, उतना ही विषैला घातक कचरा भी निर्माण होता है ।’ – गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी

२. पर्यावरण के कचरे के कारण रीन एवं सीसा के धातुकणों का भूमिगत एवं भूमि के ऊपर के जल में घुलने की प्रक्रिया अतिशीघ्र होती है । ब्रोमिनेटेड डायॉक्सिन, बेरिलियम, कैडमियम एवं पारा उत्सर्जित करनेवाली नलिकाओं के कारण सोने के आवरणवाली वस्तुओंपर स्थित नायट्रिक एवं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के उपयोग के कारण उत्सर्जित होनेवाले कणों का आंख एवं त्वचा से संपर्क होनेपर उसका परिणाम स्थाई रोग के रूप में हो सकता है ।

३. क्लोरीन एवं सल्फर डाई आक्साईड समान घातक एवं विषैली वायुरूपी अम्लों के श्वसन से श्वसन प्रक्रिया में कष्ट होकर वह अनेक रोगों को आमन्त्रित करते हैं ।

४. संगणकों से निर्मित कचरा आधुनिक विज्ञान की एक और देन है ।

५. चिकित्सा क्षेत्रों से सम्बन्धित बननेवाले इंजेक्शन, औषधियां, अन्य कचरा यह समस्या अत्यंत बडी है; क्योंकि उसे उचित पद्धति से नष्ट करने में लापरवाही होने से, वह अन्यों के लिए हानिकारक हो सकती है ।

६. विकसित एवं विकासशील देशों में अणुशक्ति के कचरे का बडा आवाहन है । इसमें यदि छोटी सी चूक भी हो जाए, तो वह सृष्टिपर भयानक परिणाम कर सकती है ।!

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