बच्चो, देवालय तथा तीर्थक्षेत्रों में जानेपर अपने अयोग्य वर्तन से वहां की पवित्रता नष्ट न हो, इस का ध्यान रहे । हमारे द्वारा पवित्रता नष्ट हुई, तो हमें पाप लगेगा और यदि हम ने पवित्रता बनाई रखी, तो हमें देवता के आशीर्वाद प्राप्त होंगे ।
इसलिए यह करें –
१. देवालय में ऊंचे स्वर में बोलना, खेलना, ‘मोबाईल’ पर बोलना आदि कृत्य न करें !
२.दर्शन के लिए प्रतीक्षा करते समय मन-ही-मन देवता का नामजप अथवा देवता से प्रार्थना करें !
३. देवालय के प्रांगण में जूते-चप्पल पहनकर न घूमें । उस स्थान को मेले का स्वरूप न दें !
४.प्रसाद की थैली, केले के छिल के, नारियल की भूसी आदि देवालय के प्रांगण में न फेंके तथा प्रांगण में जहां कूडा-कचरा दिखाई दे, वहां स्वच्छता करें !