देश की अस्मिता का प्रतीक राष्ट्रध्वज अर्थात् तिरंगा राष्ट्रीय त्यौहार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण दिन को सम्मानपूर्वक फहराया जाता है । राष्ट्र के प्रतीक इस राष्ट्रध्वज को फहराते समय उसका किसी भी प्रकार का अवमान न हो, इसलिए कुछ विधान बनाए गए हैं । केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता बनाई गई है । ध्वज संहिता के विषय में नागरिकों में जागृति निर्माण हो, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की गई है ।
अल्प नागरिकों को ही इसकी जानकारी है कि राष्ट्रीय ध्वज की संहिता भी उपलब्ध है । संहिता के अनुसार महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम, सांस्कृतिक तथा मैदानी खेल के समय नागरिक कागद के झंडे हाथ में लेकर लहराते दिखाई देते हैं । परंतु कार्यक्रम की समाप्ति के उपरांत वही झंडे धरतीपर यहां- वहां पडे दिखाई देते हैं । ऐसा होना अनुचित है । प्लास्टिक से बने झंडों का उपयोग नहीं करना चाहिए ।
ध्वज संहिता के अनुसार जब राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, तब उसे सम्मानपूर्वक ऊंचा स्थान देना चाहिए । राष्ट्रीय ध्वज ऐसे स्थानपर फहरा देना चाहिए जिससे वह सभी को दिखाई दे । शासकीय इमारतपर राष्ट्रध्वज फहराने की प्रथा है । रविवार अथवा अन्य छुट्टी के दिन भी सूर्योदय से सूर्यास्ततक ध्वज फहराना आवश्यक है । प्रतिकूल हवामान में भी ध्वज फहराना आवश्यक है ।
संहिता के अनुसार राष्ट्रध्वज सदैव उत्साह से फहराना चाहिए और धीरे-धीरे नीचे उतारना चाहिए । ध्वज फहराते समय अथवा उतारते समय रणसिंघा (रणभेरी) बजाना ही चाहिए । फहराते समय ध्वज में विद्यमान केशरी रंग का पट्टा ऊपर की ओर आना चाहिए ।
सौजन्य : हिंदुजागृती.ऑर्ग
यदि किसी सभा के समय राष्ट्रध्वज फहराना हो, तो ऐसे फहराना चाहिए जिससे मान्यवर का मुंह उपस्थितों की ओर हो और ध्वज उनकी दार्इं ओर हो । राष्ट्रध्वज यदि दीवारपर होगा, तो मान्यवरोंके पीछे और दीवारपर आडा फहराना चाहिए । किसी प्रतिमा का अनावरण हो, तो ध्वज को सम्मानपूर्वक तथा विभिन्न पद्धति से फहराना चाहिए । ध्वज गाडीपर लगाते समय गाडी के बोनेटपर एक दंड खडा कर उसपर फहराना चाहिए ।
संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज किसी बारात अथवा परेड के व्यक्ति के बाए हाथ में ध्वज होना चाहिए । यदि अन्य ध्वज भी होंगे, तो राष्ट्रध्वज उनके मध्य में होना चाहिए । कटा-फटे और मलिन ध्वज को नहीं फहराना चाहिए । किसी भी व्यक्ति को अथवा वस्तु को वंदन करते समय ध्वज धरती की ओर नहीं झुकाना चाहिए । अन्य ध्वजों की पताका अथवा ध्वज राष्ट्रध्वज की ऊंचाई अधिक ऊंचा नहीं लगानी चाहिए ।
राष्ट्रध्वज का उपयोग वक्ता की व्यासपीठ ढकने अथवा उसकी सज्जा के लिए नहीं करना चाहिए । केशरी पट्टा धरती की ओर रखकर ध्वज नहीं लहराना चाहिए । राष्ट्रध्वज को मिट्टी अथवा पानी का स्पर्श नहीं होने देना चाहिए और फहराते समय प्रकार बांधना चाहिए कि उसे फहराते समय वह कट-फट न जाए, इसी ध्वज का अनुचित उपयोग रोकने के लिए स्पष्ट दिशा निश्चित की गई है । उसके अनुसार राजकीय व्यक्ति, केंद्रीय सेनादल से संबंधित व्यक्ति की अंत्ययात्रा के अतिरिक्त अन्यत्र कहीं भी उपयोग न करें । ध्वज कोई भी वाहन, रेलवे, जहाजपर लगाया नहीं जा सकता ।
ध्वज का उपयोग घर के पटल के लिए नहीं करना चाहिए । किसी पेहनावे के लिए ध्वज का कपडा नहीं लिया जा सकता । राष्ट्रध्वज गद्दी, रूमाल अथवा नैपकीनपर नहीं बनाएं । राष्ट्रध्वजपर कोई लेखन नहीं किया जा सकता अथवा उसपर किसी भी प्रकार का विज्ञापन नहीं किया जा सकता । ध्वज जिस खंबेपर फहराया जाता है, उसपर विज्ञापन नहीं लगाए जा सकते ।
केवल प्रजासत्ताक एवं स्वतंत्रता दिवसपर ही ध्वजपर फूलों की पंखुडियां रखकर लहराया जा सकता है । राष्ट्रीय ध्वज लहराते समय अथवा उतारते समय उपस्थित नागरिकों को कवायत की सावधान स्थिति में रहना चाहिए । शासकीय पहनावे में/वर्दी में रहनेवाले सरकारी अधिकारी ध्वज को मानवंदना देंगे, तो ध्वज सैना की टुकडी के सैनिक के हाथ में होगा और वह सावधान स्थिति में खडा रहेगा । सरकारी अधिकारी के समीप से ध्वज जाते समय उसे ध्वज को सम्मानपूर्वक मानवंदना देना अनिवार्य है । आदरणीय व्यक्ति सिरपर टोपी न पहनते हुए भी राष्ट्रध्वज को मानवंदना दे सकते हैं ।
(स्रोत- वार्ता)