१. राष्ट्रध्वज को ऊंचे स्थान पर फहराएं ।
२. ध्यान रखें कि, राष्ट्रध्वज नीचे अथवा कूडे में न गिरे ।
३. राष्ट्रध्वज का उपयोग पता का एवं खिलौने के रूप में न करें ।
४. जिन वस्त्रोंपर राष्ट्रध्वज छपा हुआ है, ऐसे वस्त्र न पहनें ।
५. अपने मुखपर राष्ट्रध्वज चित्रित न करवाएं ।
६. राष्ट्रगीत के समय आपस में बातें न करें ।
७. राष्ट्रगीत समाप्त होने तक ‘सावधान’ मुद्रा में खडे रहें |
हिंदु धर्म तथा संस्कृति से कुछ भी संबंध नहीं है, ऐसे दिनों का स्वतंत्रता उपरांत भी हम पालन क्यों करें ?
स्वतंत्रता के उपरांत भी अंग्रेजों की मानसिक दास्यता में हमारे फंसे होने के कुछ उदाहरण –
भारतीय संस्कृति पर आधारित ‘शालिवाहन शक’ इत्यादि शक का वर्षगणना हेतु स्वीकार न कर ऐसी ईस्वीं पद्धति चुनी, जिस का प्राचीन काल से किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है !
भारतीय कालगणना अनुसार नववर्ष पर ‘निर्मिति’ से संबंधित प्रजापति तरंगें पृथ्वी पर सर्वाधिक आती हैं; परंतु उसे न मनाकर १ जनवरी जैसे तत्त्वहीन दिन से वर्षारंभ मनाना आरंभ किया ।
श्री लक्ष्मीपूजन के दिन श्री लक्ष्मी की तरंगें पृथ्वीपर सर्वाधिक मात्रा में आती हैं । इस तिथिपर ‘आर्थिक वर्षारंभ’ न मनाकर १ अप्रैल जैसे तत्त्वहीन दिन को आर्थिक वर्षारंभ के रूप में मनाना आरंभ किया ।