विद्यार्थी जीवन में लेखनी, पुस्तकें एवं बही रूपी शस्त्रों का
पूजन करना एवं अपने वर्तन से उनका अपमान न होने देना, यही खरा दशहरा है !
विद्यार्थीमित्रो, हम अनेक त्यौहार मनाते हैं एवं प्रत्येक त्यौहार से हमें जीवन के अनेक नैतिक मूल्य सीखने को मिलते हैं । यह मूल्य हम अपने जीवन में उपयोग करें तो हमारा जीवन आनंदी एवं आदर्श बनता है । हमारा प्रत्येक त्यौहार अर्थात प्रत्यक्ष आदर्श जीवन का पाठ ही है । आज हम दशहरा इस त्यौहार के महत्व को जानेंगे ।
१. विद्यार्थियों में दस दुर्गुणों को हराने का निश्चय करने का दिन अर्थात दशहरा ! : दश अर्थात दस एवं हरा अर्थात हारे हैं । दशहरे से पूर्व नौ दिन देवीने असुरों से युद्ध किया एवं दसों दिशाओंपर नियंत्रण प्राप्त किया ।
मित्रो, वही है यह दिन ! जैसे देवीने असुरों का नाश किया, अर्थात बुरी बातों का नाश किया, वैसा हमें भी इस दिन अपने किन्हीं दस दोषों का निर्मूलन करनेका निश्चय करना चाहिए । हमें भी अपने दस दोषों का नाश करना एवं दस दुर्गुणों को हराना है । वही हमारे लिए असली दशहरा होगा । तो मित्रो, हम ऐसा करेंगे ना ?
२. रावणपर राम ने विजय प्राप्त की एवं पांडवों ने अज्ञातवास समाप्त होते ही शक्तिपूजन कर शमी के वृक्षपर रखे अपने शस्त्र वापस लिए वह दिन अर्थात विजयादशमी ! : त्रेतायुग में प्रभु श्रीरामचंद्रने इसी दिन रावण का वध किया एवं रावणपर विजय प्राप्त किया, अर्थात विजय का दिन इसीलिए इसे विजयादशमी भी कहते हैं । द्वापारयुग में पांडवोंने अज्ञातवास समाप्त होते ही इसी दिन शक्तिपूजन कर शमी के वृक्षपर रखे अपने शस्त्र वापस लिए थे ।
३. दशहरे के दिन अपने संबंधियों को अश्मंतक के पत्ते सोने स्वरूप बांटना : पुरातन काल में मराठा वीर शत्रु का प्रदेश जीतकर सोने-चांदी इत्यादि के रूप में संपत्ती घर लाकर उसे ईश्वर के समक्ष रखकर घर के बडों को नमस्कार करते थे । वह प्रथा हम अश्मंत के पत्ते सोने के रूप में बांटते हैं ।
४. शस्त्र एवं उपकरणों का पूजन
४ अ. राजा : इस दिन राजा अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं । प्रत्येक शस्त्र में भगवान हैं, इस श्रद्धा से हम शस्त्रों की पूजा करते हैं ।
४ आ. किसान : इस दिन किसान अपने खेत में सहायता करनेवाले औजारों की पूजा करते हैं ।
४ इ. विद्यार्थी : विद्यार्थी अपनी बही-पुस्तकों की पूजा करते हैं । मित्रो, हमें भी अपनी बही, पुस्तकें, लेखनी इन सभी की पूजा करनी चाहिए; क्योंकि विद्यार्थी जीवन के यह शस्त्र ही हैं । उसी प्रकार इन सभी में भगवान हैं, इसका बोध हम में निर्माण होना चाहिए । यह शस्त्र न हों तो हम कुछ भी नहीं कर सकेंगे । इन सभी के प्रति दशहरे के दिन कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए; क्योंकि इन उपकरणों के कारण हम अभ्यास कर सकते हैं । मित्रो, विद्यार्थी जीवन के यह शस्त्र सरस्वतीमाता का प्रतीक हैं । हम अपने जीवन में ज्ञानग्रहण करने में सहायक इन सभी शस्त्रों का इस दिन पूजन करेंगे ।
५. शालेय उपकरणों की क्षमा मांगना : कुछ बच्चे बहियां फेंकना, कलम से मारना, अन्यों को दुःख देना तथा बस्ता फेंकना जैसे कृत्य करते हुए दिखाई देते हैं । मित्रो, यह अयोग्य है । इस दिन प्रथम हम इन सभी उपकरणों से क्षमा मांगेंगे । इन उपकरणों का अपमान न हो, इस हेतु ईश्वर से प्रार्थना करेंगे । करेंगे ना ? इन शस्त्रों का हमसे अनादर होनेपर क्षमा मांगेंगे । यही खरा दशहरा है !
– श्री. राजेंद्र पावसकर, पनवेल.