१. गाडियों से विद्युतनिर्मिति करनेवाले केंद्रों से कालिख के सूक्ष्म कण बाहर निकलते हैं । वे हवा को प्रदूषित करते हैं । हवा के कालिख के सूक्ष्म कणों के दीर्घकाल संपर्क में आने से फेफडे का कर्करोग तथा हृदय के अन्य विकार होने की भी संभावना होती है ।– श्रीराम सिधये, दैनिकमहाराष्ट्र टाइम्स, मार्च २००२
२. विश्व के सभी देशों को गाडियों से होनेवाले प्रदूषण का प्रश्न सता रहा है । उसका सजीव एवं निर्जीव दोनोंपर परिणाम हो रहा है ।कोलकाता में प्रदूषण के कारण दोपहर को ही सायंकाल जैसा वातावरण हो जाता है । वहां एक-दो घंटो में ही वस्त्र मैले हो जाते हैं ।
३. थायलैंड की राजधानी बैंकॉक शहर में, गाडियों की प्रचंड संख्या के कारण वायुप्रदूषण की गंभीर समस्या निर्माण हो गई है । वहां बडे मार्गों के निकट स्थित प्राथमिक पाठशालाओं में पढनेवाले बालकों के मसूडों तथा मूत्र में सीसे का संचय पाया गया है ।(दैनिक पुढारी, ३.६.१९९९)
४. ‘एक प्राध्यापक मित्र का कहना है कि,न्युयोर्क , टोकीयो, लंदन जैसे बडे शहरों की हवा, अतिविषारी बन गई है । मनुष्य की सहन करने की क्षमता से तीन गुना अधिक विष वातावरण में है, फिर भी मनुष्य जी रहा है । शरीर को विष का अभ्यास हो गया है । मनुष्य की विष पचाने की क्षमता बढगई है । मुंबई की हवा में भी दो गुना विष निश्चित ही है ।’– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (घनगर्जित, मार्च २००८)
५. पेट्रोल तथा डीजल के प्रयोग से वायु का विषयुक्त होना : ‘आप गाडियां चलाते हैं ? पेट्रोल तथा डीजल वायु को कितना विषयुक्त करते हैं ? वास्तव में ‘यह विष मिलानेवाले हाथ तोडने चाहिए’,ऐसा आपको नहीं लगता क्या ?’
– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (घनगर्जित, जुलाई २००९)