भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है चार धाम । नर एवं नारायण पहाड़ों के मध्य में चार तीर्थस्थान हैं, जिसका नाम है बद्रीनाथ । यह पवित्र स्थान अलकनंदा (गंगा) नदी के दक्षिण तट पर स्थित है । पृष्ठ भाग में प्राकृतिक सौंदर्य से युलुक्प्त नीलकांत पहाडड़ एक सुंदर चित्रकला की जैसा दिखाई देता है । जनश्रुति के अनुसार वैदिक काल में ३१३३ मीटर की ऊँचाई पर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था । वर्तमान में गुरु आदि शंकरयाचार्यजी ने यहा पर मठ निर्मित किए थे । इसे विशाल बद्रीनाथ भी कहते हैं । बद्रीनाथ पंच बदरी में से एक है हैं। केदारनाथ पर्वतों की श्रृंखला में भगवान शिवके बारह ज्योतिर्लिंग स्थित हैं । ३५८४ फीट पर स्थित है केदारनाथ तीर्थस्थल । हिंदुओं का यह धार्मिक स्थल हैं । महाभारत कथा में इस भव्य मंदिर का विशलेषण किया गया है । दाकिनी नदी के तट पर यह भव्यस्थल स्थित है ।
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत में युद्ध के उपरांत पांडवों ने भगवान शिव से आशीर्वाद माँगा था कि वे अपने पापों का प्रायश्चित कर सकें;। परंतु भगवान शिव उनके सम्मुख नहीं आते थे तथा केदारनाथ में वे एक वृषभ के रूप में रहे थे । जब पांडवो ने उनका पीछा करना बंद नहीं किया तब वे पृथ्वी में समा गए और अपना कूबड़ पीछे छोड़कर चले गए । मंदिर में त्रिकोण भाग निकला हुआ है । भक्त उसी की पूजा करते हैं ।
६,३१५ मी. की ऊंचाईपर बंदरपूंछ पहाड़ में यमुनोत्री मंदिर स्थित है । घरवाल हिमालय में चार धाम का धार्मिक स्थल स्थित है । पौराणिक कथा के अनुसार असित मुनि एकांत में यहाँ निवास करते थे । यह धार्मिक स्थल के मुख्य आकर्षण का केंद्र है हैं। यमुनोत्री मंदिर, जहां पर देवी यमुना की प्रतिमा विराजमान है एवं पवित्र तापीय झरना बहता है । जानकीचट्टी सात कि.मी. की दूरी पर स्थित है ।
मंदिर से एक कि.मी. की दूरी पर यमुना नदी का स्तोत्र स्थित है । वह ४,४२१ मी.की कि ऊंचाई पर स्थित है । श्रद्धालु इस स्थान पर पहुँचने जाने के लिए अनेक समस्याओं का सामना करते हैं । मंदिर से एक कि.मी. की दूरी पर यमुना नदी का स्रोत स्थित है। वह ४४२१ मी कि ऊँचाई पर स्थित है। श्रद्धालु इस स्थान पर पहुँचने के लिए अनेक समस्याओं का सामना करते हैं। फलस्वरूप अनेक श्रद्धालु इस मंदिर में ही देवी यमुना की पूजा अर्चना करते हैं । ऐसा माना जाता है कि जयपुर की महारानी गुलारिया ने उन्नन्नीसवीं शताब्दी में इस मंदिर को बनवाया था ।