आदर्श अभिभावक बनने के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण गुणों का विवेचन आगे दिया गया है ।
१. बच्चों का आदर्श
अभिभावकों में ऐसे गुण हों, जिनपर बच्चों को अभिमान हो । पुत्र के समक्ष पिता को अपना आदर्श परिवार प्रमुख और समाज के मान्यवर व्यक्ति के रूप में रखना चाहिए । एक स्त्री के रूप में पत्नी, माता, मामी, मौसी, चाची आदि विविध भूमिकाओं में मां अपनी पुत्री के समक्ष एक उत्तम आदर्श निर्माण कर सकती है । उससे मिलनेवाली मानसिक संतुष्टि भी वही दर्शा सकती है ।
२. सहवास
बालकों का अपने अभिभावकों के सहवास के लिए उत्सुक रहना तथा उनके सहवास में आनंदित रहना, यह आदर्श अभिभावकों के लक्षण हैं । ऐसे अभिभावक अनेक बार अपनी मर्यादा से परे जाकर भी आवश्यक सर्व सुविधा अपने बच्चों के लिए जुटाते हैं तथा उनकी उन्नति से संतुष्ट होते हैं ।
३. विशुद्ध प्रेम
विशुद्ध प्रेम आदर्श अभिभावकों का विशिष्ट गुण है । बालक सुंदर है अथवा वह परिवार का नाम उज्जवल करेगा, इसलिए प्रिय है, ऐसा नहीं होना चाहिए । कोई बालक मंद बुद्धिका हो, तो भी आदर्श अभिभावक उस बालक के संदर्भ में अपने कत्र्तव्य पूर्ण कर उससे प्रेम ही करते हैं । बालकों के विकास में ऐसे प्रेम का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है । अभिभावकों की बच्चों के विषय में संतुष्टता और अपनत्वकी वृत्ति बालकों में आत्मविश्वास निर्माण करने और उनका व्यक्तित्व सुदृढ बनाने में सफल सिद्ध होती है ।