पाश्चात्यों समान भारत में भी आज ‘फास्ट फूड’ की भोगवादी संस्कृति फैल रही है । पिज्जा, बर्गर, चिप्स इत्यादि ‘फास्ट फूड’, कृत्रिम एवं प्रक्रिया से तैयार किया गया अन्न है !
‘फास्ट फूड’ के सेवन से शारीरिक हानि
‘फास्ट फूड’ पौष्टिक नहीं होता एवं पचन के लिए कठिन होता है । एक सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि, ‘विदेश में ‘फास्ट फूड’ एवं शीतपेय के अत्यधिक सेवन से बच्चों में स्थूलता बढ रही है और उनके चेहरे विकृत दिख रहे हैं’ । इससे हृदयरोग होने की संभावना होती है, जंकफूड के कारण बांझपन आता है, दांत दुर्बल हो जाते हैं,कर्करोग की संभावना होती है, दांत तिरछे निकलते हैं और जबडे का आकार छोटा हो रहा है ।
मनुष्य की आयु घटती है
‘फास्ट फूड’ जैसे आहार के कारण शरीर का मोटापा बढता है । इससे मनुष्य की आयु घट सकती है । ब्रिटेन के प्रा. डेविड किंगके एक शोध के निष्कर्ष के अनुसार जंकफूड खाने से हुए मोटापे के कारण मनुष्य की आयु १३ वर्षतक घट सकती है ।
‘फास्ट फूड’ के कारण संभावित आध्यात्मिक हानि
अधिकांशतः ‘फास्ट फूड’ दीर्घ कालावधि के लिए संग्रहित अन्न होता है । इससे तमोगुण बढता है और अनिष्ट शक्तियों को आकर्षित करता है । ऐसे ‘फास्ट फूड’ के सेवन से वृत्ति तामसिक बनती है (उदा. चिडचिडापन, वर्चस्व, मत्सर इत्यादि दुर्गुण बढते हैं) तथा अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव की आशंका बढती है ।
सात्त्विक भारतीय पदार्थों का सेवन करें !
भारतीय पदार्थ ताजे, पचाने में हलके एवं पौष्टिक होते हैं । भारतीय पाककला में, अन्न में विद्यमान नैसर्गिक तत्त्वों एवं जीवनसत्त्वों को नष्ट किए बिना, पदार्थोंपर प्रक्रिया (उदा. सेकना, उबालना, सलाद बनाना) ध्यानपूर्वक की जाती है । इसलिए भारतीय पदार्थ सात्त्विक भी होते हैं ।
उतने ही अन्न का सेवन कीजिए, जिससे आधा पेट भर जाए; एक चौथाई जल के लिए तथा शेष वायु के लिए रहे !