सायंकाल के समय (दीया जलाने के समय) यह अवश्य करें !

गोधूली के समय पंछी घोंसले में लौटने लगते हैं । इस समय बालकों को खेलना रोककर घर लौटना चाहिए । घर लौटनेपर दूरदर्शन के कार्यक्रम न देखें; अपितु हिंदु संस्कृति में बताए अनुसार निम्नलिखित कृत्य करें ।

१. हाथ-पैर एवं मुंह को स्वच्छ धोएं ।
२ घर के वयोवृद्ध सदस्यों के साथ, पूजाघर में देवता के समक्ष दीया एवं उदबत्ती जलाकर तथा हाथ जोडकर निम्नलिखित श्लोक कहें ।

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदाम् ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।।

अर्थ : दीपकज्योति शुभ एवं कल्याण करती है तथा स्वास्थ्य और धनसंपदा प्रदान करती है । शत्रूबुद्धिका अर्थात् द्वेषका नाश करती है इसीलिए हे दीपज्योति, आपको नमस्कार करते हैं ।

३. तदुपरांत आरती एवं प्रार्थना कर स्तोत्र-पठन करें ।
४. बडों को नमस्कार कर उनसे आशीर्वाद लें ।
५. ककहरा (दिन, तिथि, हिंदु मास, नक्षत्र, पहाडे आदि रटना) कहें ।

(सभी छोटे-बडे व्यक्तियों की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए, इसका शास्त्रसहित विस्तृत विवेचन सनातन के ‘दिनचर्या से संबंधित आचार व आधारभूत शास्त्र’ नामक ग्रंथ में किया है । उसी प्रकार वेशभूषा, केशभूषा, तिलकधारण, अलंकार-धारण एवं भोजन इन आचारों का विस्तृत विवेचन सनातन के आगामी ग्रंथ ‘आचारधर्म की प्रस्तावना’ नामक ग्रंथ में किया है ।)