बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला तथा अति प्राचीन है गुजरात राज्य का यह शैवक्षेत्र ! पहले दशक में ही सोमनाथ में प्रथम पत्थर के मंदिर का निर्माण किया गया । यह मंदिर गिरने की स्थिति में आने के उपरांत वर्ष ६४९ में राजा धरसेनने वास्तुविज्ञान तथा कला का सुंदर तालमेल एवं सामंजस्य बैठाकर वैसे ही वैभवशाली एक अन्य मंदिर का निर्माण करवाया । इस मंदिरपर मुसलमानों के अनेक आक्रमण हुए । ८ वें दशक में अरबी लोगों के आक्रमण होनेपर वर्ष १०२५ में मुहम्मद गजनीने इस मंदिरपर आक्रमण किया । उसने इस शिवमंदिर की अपार एवं असीमित संपत्ति लूटी । तदनंतर अलाउद्दीन खिलजी, मुहम्मद बेगडा तथा औरंगजेब के आक्रमणों से यह मंदिर उद्ध्वस्त हो गया । वर्ष १७८३ में पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकरने सोमनाथ के नए मंदिर की स्थापना की , उसी प्रकार स्वातंत्रता प्राप्ति के पश्चात् १९५१ में सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ । उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति बाबू राजेंद्रप्रसाद के हाथो शिवमूर्ति की स्थापना की गई।