मित्रों, गुढीपाडवा को नववर्ष समारोह मनाकर ‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण का संकल्प करें !
गुढीपाडवा के दिन ब्रह्मदेवद्वारा सृष्टि का निर्माण करना तथा प्रभू श्रीरामद्वारा दुष्ट वाली का वध करना
‘हम जिस प्रकार दिन आरंभ करते हैं, उसका परिणाम हमारे दिनभर के प्रत्येक कृत्यपर होता है । यदि दिन का आरंभ आदर्श हो, तो दिनभर का प्रत्येक कृत्य आदर्श होता है । इस प्रकार यदि नववर्ष का आरंभ आदर्श भारतीय संस्कृति के अनुसार अर्थात हिंदु धर्म के अनुसार गुढीपाडवा के दिन किया जाए, तो व्यक्ति का जीवन आदर्श बनेगा । ‘इस दिन ब्रह्मदेवने सृष्टि का निर्माण किया । आदर्श जीवनयापन करनेवाले प्रभू श्रीरामद्वारा दुष्ट वाली का वध भी इसी दिन किया गया था ।’ मित्रो, यह इस दिन का महत्त्व है ! हमें भी इस दिन अनिष्ट कृत्यों का विनाश कर आदर्श जीवन का आरंभ करना चाहिए ।
आदर्श हिंदू संस्कृति का एवं धर्म का विस्मरण होनेसे आज व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के जीवन में दुःख एवं तनाव निर्माण होना
‘विद्यार्थी मित्रो, संपूर्ण विश्व के लिए गुरुस्थानपर विराजमान एवं मानव को आदर्श एवं सर्वगुणसंपन्न बनानेवाली तथा व्यक्ति, कुटुंब एवं समाज को आनंदमयी जीवनप्रणाली की सीख देनेवाली हिंदू संस्कृति का, धर्म का हमें विस्मरण हो गया है । परिणामस्वरूप आज व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के जीवन में दुःख तथा तनाव है । पुरातनकाल में भारत में मानव को आदर्श जीवनयापन का शास्त्र सिखाया जाता था । प्रातः कब उठना चाहिए, क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए, कौनसे कपडे परिधान करने चाहिए, स्त्रियों को किन नियमों का पालन करना चाहिए, पुरुषों को क्या करना चाहिए तथा क्या नहीं करना चाहिए इत्यादि शास्त्र पूर्वमें सिखाए जाते थे । इसलिए पूर्व के लोग आनंदमयी जीवन व्यतीत करते थे ।
अंग्रेजोंने हमारी आनंद प्रदान करनेवाली जीवनपद्धति नष्ट कर केवल दुःखी बनानेवाली शिक्षापद्धति हमपर लादना
मित्रो, विश्वभर के लोग हमारी जीवनप्रणाली सीखने के लिए आते हैं । पूर्वमें यहां तक्षशिला तथा नालंदा (जैसे विश्वविख्यात) विश्वविद्यालय थे । यहां सभीप्रकार की कला एवं विद्या की शिक्षा मिलती थी । मानव को आनंदमयी जीवन प्रदान करनेवाली जीवनप्रणाली को अंग्रेजोंने नष्ट किया तथा उसे भोगी बनाकर उसका जीवन दुःखी बनानेवाली तथा उपाधियां देनेवाली शिक्षापद्धति हमपर लादी गयी । आज हम देखते हैं कि, अल्पायु के बालक भी आत्महत्या करते हैं । उनके वर्तन में सकारात्मक परिवर्तन एवं योग्य संस्कार अंकित हुए दिखाई नहीं देते ।
अब हम ‘गुढीपाडवा’ यह त्यौहार शास्त्र के अनुसार कैंसे मनाएं यह नीचे दिए हुए व्हिडिआें से देखेंगे ।
सौजन्य : हिंदु जनजागृति समिती
विद्यार्थी मित्रो, गुढीपाडवा के अवसरपर निम्नलिखित कृत्य निश्चितरूप से करें !
अ. अन्यों को इसी दिन नववर्ष मनाने के लिए कहें
आ. पाठशालाओं में मुख्याध्यापक तथा अन्य अध्यापकों को गुढीपाडवा के विषय में बताएं । उन्हें यह दिन ‘संस्कृति दिवस’ (कल्चर डे)के रूप में मनाने के लिए कहें । पाठशालाओं के शामपट / फलक / तख्तेपर गुढीपाडवा का महत्त्व एवं ‘सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं’ लिखने के लिए कहें
इ. नववर्ष के अवसरपर आयोजित पदयात्रा अथवा प्रभात फेरी में सम्मिलित हों ।
ई. घर के आंगन में सात्विक रंगोली बनाएं ।
उ. कुर्ता-पायजमा अथवा धोती-कुर्ता जैसे सात्विक वस्त्र परिधान करें । नीले, गुलाबी इत्यादि सात्विक रंग के कपडे परिधान करें ।
ऊ. घर में गुडी खडी कर उसे एवं मां-पिता को प्रणाम करें ।
ए. आपके मित्र एवं परिवारजनों को हिंदी में शुभकामनाएं दें ।
विद्यार्थी मित्रो, आइए, इस शुभ दिन के अवसरपर निम्नलिखित कृत्यों का निश्चय करते हैं ।
अ. जीवन में तनाव एवं दुख उत्पन्न करनेवाले दोष अर्थात आलस, नियोजन का अभाव, अन्यों का विचार न करना इत्यादि दोषों को नष्ट करने का प्रयास करूंगा ।
आ. मुझ में तथा अन्यों में आज्ञापालन, त्याग, क्षात्रवृत्ति (अन्याय के विरोध में लडने की वृत्ति) इत्यादि प्रभू श्रीराम मे गुण आत्मसात करने का प्रयास करूंगा ।
गुढीपाडवा के दिन यह न करें ।
अ. देवताओं के चित्रों की रंगोली न बनाएं ।
आ. टी शर्ट-पैंट जैसे विदेशी एवं काले रंग के कपडे परिधान न करें ।
इ. किसी को अंग्रेजी में शुभकामनाए न दें ।
ई. प्रदूषणकारी पटाखे न जलाएं ।
उ. ध्वनिप्रदूषण करनेवाले कर्णकर्कश डी. जे. न लगाएं ।
ऊ. विकृत चित्रपट न देखें ।
प्रभु श्रीरामजी को प्रार्थना करें कि, ‘हमें आदर्श राष्ट्र के आदर्श एवं सर्वगुणों से युक्त नागरिक बनाए ।
’ मित्रो, इस प्रकार हम हमारा नववर्ष गुढीपाडवा को मनाकर अन्यों को भी यह आदर्श कृत्य करने के लिए कहेंगे । इससे हमपर प्रभू की कृपा होगी । आइए, इस दिन हम प्रभू श्रीरामजी से प्रार्थना करते हैं, ‘हे प्रभू श्रीराम, आपके जैसे आदर्श राजनेता इस देश को मिलें । हमे एक आदर्श राष्ट्र के आदर्श सर्वगुणसंपन्न नागरिक बनाइए । हमारेद्वारा स्वभावदोष, अहंनिर्मूलन एवं गुणसंवर्धन के लिए निरंतर तथा गंभीरता से प्रयास होने दीजिए । यही आपके चरणों में प्रार्थना है ।’
– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल.