गणपति काे ‘चिंतामणि’ नाम कैसे मिला ?

बच्चो, गणपति ज्ञान के देवता हैं । ये हमारे बुदि्धदाता हैं । इन्हें सारे विघ्न दूर करनेवाले भगवान अर्थात `विघ्नहर्ता ‘ भी कहते हैं । आज देखते हैं, उनके दूसरे अनेक नामों में ‘चिंतामणि’ नाम उन्हें कैसे मिला ।

कण नाम का एक दुष्ट राजपुत्र था । वह दीन एवं असहाय लोगों को बहुत पीडा देता था । ऋषिमुनियों के तप में विघ्न उत्पन्न करता था । एक बार अपने मित्रोंसमेत वह जंगल में शिकारपर गया । उसी जंगल में कपिलमुनि का आश्रम था । उन्होंने कण का स्वागत किया तथा उसे अपने मित्रों के साथ भोजन करने का आमंत्रण दिया । कपिलमुनि की झोंपडी (आश्रम) देखकर कण को हंसी आई । उसने कहा, “आप जैसा निर्धन साधु इतने लोगों को भोजन कैसे कराएगा ?” उसपर कपिलमुनि ने अपने गले की चेन में लगा ‘चिंतामणी’ निकालकर एक चौपाईपर रखा । मणि को नमस्कार कर प्रार्थना की । उससे वहांपर खाने का एक बडा कक्ष निर्माण हुआ । सबको बैठने हेतु चंदन के आसन (पाट) तथा चौपाई (चौरंग) लगाई गई थीं । चांदी की थाली-कटोरियों में तरह-तरह के पकवान परोसे गए थे । कण तथा उसके मित्र उस स्वर्गीय भोजन से संतुष्ट हो गए ।

कण के मन में मणि प्राप्त करने की इच्छा जागृत हुई । उसने कपिल मुनि के समक्ष अपनी इच्छा व्यक्त की; किंतु कण का स्वभाव पता होने के कारण कपिल मुनि ने उसे चिंतामणि देने से इनकार किया । उसपर कण ने अत्याचार से वह मणि छीन लिया ।

तत्पश्चात कपिल मुनि ने गणपति की उपासना की । उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणपति ने कण को दंड देने का निश्चय किया । इधर कण ने सोचा उस मणि हेतु कपिलमुनि मुझ से युद्ध करेंगे । उसने कपिलमुनिपर आक्रमण कर दिया । गणपति की कृपा से जंगल में विशाल सेना की उत्पत्ती हुई । सैनिकों ने कण की सारी सेना को मार दिया । तब गणपति स्वयं रणभूमिपर आए । कण ने गणपतिपर शीघ्रता से बाण चलाना प्रारंभ किया; किंतु गणपति ने अपने बाणों से उन्हें हवा में ही नष्ट कर दिया । इसके पश्चात गणपति ने अपना परशू कणपर चलाया । वह लगते ही कण मर गया । कण के पिताजी राजा अभिजीत ने रणभूमिपर आकर गणपति को प्रणाम किया । कपिल मुनि का `चिंतामणी’ उन्हें वापस दिया । राजा अभिजीत ने गणपति से अपने बेटे को क्षमा कर के सदगति देने की विनती की । दयालु गणपति ने उनका कहना मान लिया ।

गणपति ने कपिलमुनि को चिंतामणी वापस दिला दिया; इसलिए गणपति को `चिंतामणी’ नाम प्राप्त हुआ ।

बच्चो, गणपति ज्ञान के देवता हैं, यह बात समझ में आई ना ! पढाई का आरंभ  करने से पूर्व गणपति को प्रार्थना कर,`श्री गणेशाय नम: ।’ यह नामजप करने से कठिन लगनेवाला विषय आसान बनकर पढाई में रुचि बढेगी । तो आज से ही आप नामजप का प्रारंभ करेंगे ना !


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