एक बार देवर्षि नारदमुनि को अपनी भक्तिपर बडा गर्व हुआ । उन्हें लगा, हम सदैव ‘नारायण नारायण’का जाप करते रहते हैं, इसलिए हमारी बराबरी में भगवानजी का खरा एवं प्रिय भक्त इस त्रिखंड में कोई नहीं है । अंतर्ज्ञान से भगवान श्री विष्णु इस भ्रम को समझ गए । अपने भक्त को अहंकार / गर्व न हो, इसलिए परमेश्वर सदैव तत्पर रहते हैं ! भगवान श्री विष्णु ने नारदमुनि का गर्वहरण करने का निश्चय किया ।
एक दिन, विष्णुलोक में नारदमुनिका आगमन होनेपर भगवान श्री विष्णु ने उनसे पुछा, ‘‘देवर्षि, आप जब पृथ्वीपर जाते हैं, तब वहां मेरे भक्तों से मिलते हैं ? वहां हमारा एक प्रिय भक्त रहता है !’’ यह बात सुनकर नारदमुनि सोच में पड गए । उन्हें लगा, ‘हमसे अधिक खरा भक्त और कौन हो सकता है ?’
खरे भक्त को देखने के लिए नारदमुनि ने भगवान श्री विष्णु से उस भक्त का संपूर्ण पता पूछ लिया तथा वे पृथ्वीपर बताए हुए स्थानपर आए । श्री विष्णुद्वारा बताया गया उनका खरा भक्त एक सामान्य किसान था । यह देखकर नारदमुनि अचंभित रह गए । दिनभर किसान क्या कर रहा है, वे यह देखते रहे । किसान भोर होनेपर उठता था, भगवानजी का नामस्मरण करता था, दिनभर खेत में काम करता था तथा रात में सोते समय प्रार्थना कर सो जाता था, हे भगवन, आपकी कृपा से मैं मेरा काम कर सका । आपकी कृपा से आज का पूरा दिन सफल / भला व्यतीत हो पाया है । आपकी ऐसी ही कृपा मुझपर सदैव रहने दें ।’ नारदमुनि को यह बात हास्यास्पद, मजेदार एवं उपहासपूर्ण लगी । यह किसान दिनभर में केवल एक बार नाम लेता है तथा प्रार्थना करता है । हम तो अखंड परमेश्वर चिंतन में लगे रहते हैं । फिर यह उनका प्रिय भक्त कैसे ? वे श्री विष्णु के पास लौट गए । उन्होंने पुछा, ‘‘भगवन्, आप उसे आपका प्रिय भक्त कहते हैं, यह कैसे ? हम यह समझ नहीं पा रहे हैं ।’’
इसपर भगवान विष्णु हंसे । उन्होंने नारदमुनि से कहा, ‘‘देवर्षि, आप एक काम करें । तेल से भरे इस कटोरे को कैलाश पर्वतपर भगवान शिव के पास ले जाएं ।’’ नारदमुनि ने कटोरा हाथ में ले लिया । कटोरा तेल से पूर्णरूपेण भरा हुआ था । इसलिए नारदमुनि का संपूर्ण ध्यान तेल न गिरे इसपर लगा था । । इससे भगवान श्री विष्णु का नामस्मरण वे पूर्णरूप से भूल चुके थे । उस कटोरे को भगवान शिव के हाथ में सौंपनेपर ही उन्हें समाधान मिला ।
वे वापस श्री विष्णु के पास आए । श्री विष्णु बोले, ‘‘देवर्षि, कटोरा दे आए ? तेल गिरा तो नहीं ना ?’’ नारद बोले, ‘‘नहीं, तेल को बिना गिराए कटोरा दे आए ।’’ इसपर श्री विष्णु ने पुछा, ‘‘मार्ग में कितनी बार हमारा नामस्मरण किया ?’’ यह सुन नारदमुनि लज्जित हो गए । वे बोले, ‘‘हमारा ध्यान उस कटोरेपर टिका था इसलिए नामस्मरण करना भूल गए ।’’ उसपर भगवान विष्णु ने कहा, ‘‘आप प्रतिदिन सदा हमारा जाप करते हो; परंतु मृत्युलोक में जाते समय आपको (न्यूनातिन्यून) हमारा स्मरण हुआ ? आप केवल कटोरा ले जाते समय हमें भूल गए किंतु किसान की पीठपर पारिवारिक समस्याओं की उलझनें लदी होनेपर भी वह हमें नहीं भूलता ! फिर कौन श्रेष्ठ है, यह आप ही निश्चय करें। यह सुनकर देवर्षि नारदमुनि, अपनी चूकको समझ गए ।
बच्चो, संसार में रहते हुए नामस्मरण करते हुए अपने कर्तव्यों की पूर्ति करना ही सर्वश्रेष्ठ ईश्वर भक्ति है !