‘१०-१५ वर्ष पूर्व की बात है । मैं एक डाक्टर के पास गया था । (यह डाक्टर एम.एस. है ।) उनके पास कोई बैठा हुआ था इसलिए मैं बाहर प्रतिक्षालय में रुका । डाक्टर के पास एक सज्जन उनके पुत्र के साथ आए थे । पुत्र १२ वी में अच्छे अंक प्राप्तकर उत्तीर्ण हुआ था; इसलिए वह मिठाई देने के लिए आए थे । उनका चिकित्सालय छोटा होने के कारण मैं बाहर ठहरकर भी उनका सम्भाषण सुन पा रहा था । उनमें कुछ इस प्रकार सम्भाषण हुआ ।
डाक्टर : भविष्य में क्या करने का विचार है ?
युवक : मैं इंजीनियरिंग और वैद्यकीय (Medical) दोनो आवेदन (Form) भरूंगा । यदि इंजीनियरिंग में प्रवेश मिलता है, तो वहां जाऊंगा ।
डॉक्टर : अरे, ऐसा मत करो ! मेरी बात सुनो । तुम मेडिकल में प्रवेश लो । अरे, डाक्टर बनना अर्थात धन ही धन कमाना ! देखो, डाक्टर बनने के उपरान्त १-२ वर्ष में ही मेरा घर (बंगला), गाडी सबकुछ बन गया ! परन्तु यह सब करने के लिए मेरे इंजीनियर भैया को १० वर्ष लगे !’
मित्रों, सम्पत्ति, वैभव, ऐश्वर्य आदि सर्व क्षणभंगुर है । इसके विपरीत ज्ञान अनेक जन्मोंतक हमारे साथ रहता है ।