१. ‘शाकाहार में पर्याप्त प्रथिन (प्रोटीन्स) होते हैं ।
२. शाकाहारी लोग स्फूर्तिमान, निरोग एवं दीर्घायु होते हैं । जॉर्ज बर्नार्ड शॉ कट्टर शाकाहारी थे । उन्होंने ९४ वर्षतक निरोग जीवन जीया ।
३. पश्चिम के प्रसिद्ध व्यक्ति शाकाहारी हैं । प्लेटो, सुकरात (सॉक्रेटिस), अॅरिस्टॉटल, रुसो, गोल्डस्मिथ, मिल्टन, न्यूटन, शेले, वॉल्टेअर, सीजर, वेजनेट, थोरो, टॉलस्टॉय, फिल्ड मार्शल माँटगोमरी, हैरी वीटक्राफ्ट, ब्रिगेडिअर ग्रॉफी, ट्रागी, एंथोनी क्विनीज, माल्कम, मुगेरीस, पीटर इत्यादि । इन सभी का यही कहना है कि मनुष्य शाकाहारी रहकर संपूर्ण जीवन निरामय (स्वस्थ) जी सकता है ।
४. आधुनिक विज्ञानने शाकाहार की श्रेष्ठता निर्विवाद सिद्ध की है ।’
– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी
प्रकृतिके नियम के अनुसार ‘मनुष्य का शाकाहार करना’ ही उसकेद्वारा किया गया धर्मपालन है ।
ईश्वरने सृष्टि बनाते समय प्रत्येक जीव के लिए आहार भी निश्चित किया । उसके अनुसार हिंसक प्राणियों को दूसरे प्राणियों की हिंसा कर भोजन करने में सहायता हो, इस हेतु लंबे दांत एवं विशेष प्रकार की बत्तीसी तथा जबडों की रचना की। इसके विपरीत, मनुष्य के मुख में सामने के दांत मांस तोडने में असमर्थ होते हैं । मनुष्य के दांत शाकाहार सहजता से चबा सकते हैं । मनुष्य की बत्तीसी गाय के दांतों के समान होती है । प्रकृति के नियम के अनुसार गाय केवल शाकाहार करती है । अतः मनुष्य का शाकाहार करना धर्मपालन करने समान है ।
हमारे घर के भोजन की सात्विकता बढाने के लिए भोजन बनाते समय रामरक्षा एवं अन्य स्तोत्र पढना, नामजप करना, श्री अन्नपूर्णादेवी से प्रार्थना करना तथा भोग की थाली का भोजन संपूर्ण भोजन में मिलाना आदि करें ।