आप यदि चाकलेट के चाहनेवाले हैं, तो थोडा संभलकर रहें । क्योंकि चाकलेट भी अमली पदार्थों जितने ही घातक हो सकते हैं तथा आपको चाकलेट का भी व्यसन लग सकता है । मिशिगन युनिवर्सिटी के एक अभ्यास में बताया गया है कि चाकलेट मस्तिष्क पर अफीम जैसा ही प्रभाव डालता है ।
अतिस्थूल (अधिक मोटे) व्यक्ति एवं व्यसनी व्यक्तियों पर किए गए इस अभ्यास में समानता दिखाई दी । चाकलेट खानेवालों के मस्तिष्क में ‘एन्केफॅलिन’ नामक स्त्राव दिखाई दिया जिसके गुणधर्म अफीम में विद्यमान एन्ड्रोफिनशी से मिलते-जुलते हैं ।
`डेली मेल` नामक समाचारपत्र में दिए गए समाचार के अनुसार इसका प्रयोग प्रथम चूहों पर किया गया । उसमें यह ज्ञात हुआ कि चाकलेट खाने से मस्तिष्क में एन्केफॅलिन की मात्रा में वृद्धि हुई है । मुख्य संशोधक डॉ. एॅलेक्झांड्रा डिफेलिसेंटोनियो ने कहा कि हमने मस्तिष्क में सक्रिय होनेवाले डार्सल नियोस्ट्रियेटम का अभ्यास किया । उसमें हमें प्रतीत हुआ कि अतिमोटे लोगों द्वारा आहार को देखने पर तथा अमली पदार्थ सेवन करनेवालों द्वारा मादक द्रव्य लेने पर डार्सल नियोस्ट्रियेटम सक्रिय होता है ।
उसी प्रकार चाकलेट जैसा पदार्थ विशेषतः दांतों के अनेक रोगों का मूल है । उसमें प्रयुक्त सेक्रीन के कारण कर्करोग भी हो सकता है । ‘वैश्विक आरोग्य संगठन’ ने भी सेक्रीन आरोग्य के लिए हानिकारक होने की बात कही है । आरोग्य अच्छा रखने हेतु सेक्रीन जैसे पदार्थं से दूर रहना ही अच्छा है ।