देश के लिए क्रांतिकार्य करनेवाले अनेक क्रांतिकारियोंमें से एक है, देशभक्त हरनामसिंह ! उनकी पुण्यतिथि के निमित्त उनका अल्पपरिचय…
१. कैनडा में ‘दी हिंदुस्थान’ पत्रिका के माध्यम से बमविद्या का प्रसार करनेवाले हरनामसिंह !
उद्यम हेतु कैनडा में गए हरनामसिंहजीने ‘दी हिंदुस्थान’ नामक पत्रिका आरंभ की । हरनामसिंहजी अत्यंत प्रभावशाली लेखक थे । उनकी इस पत्रिका से कैनडास्थित अनेक भारतीय प्रभावित हुए । कैनडा के प्रशासनने उनपर बम बनाना, उसे सीखाना और विद्रोही प्रचार करना, ऐसे आरोप रखकर उन्हें ४८ घंटो में कॅनडा छोडने के लिए बाध्य किया ।
२. भिन्न-भिन्न देशों में ‘गदर’ पत्रिका प्रसारित करनेवाले देशाभिमानी हरनामसिंह
हरनामसिंहजी के मित्र रेमिस्बर्ग ने अपनी बोट से उन्हें अमरिका में लाया । अमरिका में ‘गदर’ नामक पत्रिका को हरनामसिंह सहायता करने लगे । ‘कोमागाटामारू जहाज’के प्रकरण के उपरांत हरनामसिंह अमरिका छोड चले गए । जापान, चीन और सयाम (थायलंड) इन देशों में ‘गदर’का प्रचार करते हुए वे ब्रह्मदेश चले गए ।
३. क्रांतिकार्य के लिए फांसी का दंड
खिस्ताब्द १९५५ में सिंगापुर का विद्रोह विफल हो जानेपर बडी मात्रा में लोगों को बंदी बनाया गया । इसलिए अनेक नेता ब्रह्मदेश चले गए । परंतु लोगों को बंदी बनाया जाने के कारण हरनामसिंहजी को भी बंदी बनाया गया । उनपर अभियोग चलाया गया और उन्हें मृत्युदंड सुनाया गया । कारागृह से हरनामसिंहजीने पलायन किया ! उन्हें पुनः बंदी बनाया गया और फांसी दी गई । वह दिन था, १९ अक्तूूबर १९१६ !
हरनामसिंह और उनके क्रांतिकारी मित्र भाई भागासिंह, भाई बलवंतसिंह, ये तीनों भाई एक के उपरांत एक कर देशकार्य के लिए अजरामर हुए !
संदर्भ : ‘दैनिक लोकमत’, ११.५.२००७