मेहरानगढ

मेहरानगढ किला भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है । पन्द्रहवी शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से १२५ मीटर ऊँचाई पर स्थित है और आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है । बाहर से अदृश्य, घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं । किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम हैं । इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि । इन महलों में भारतीय राजवेशों के साज सामान का विस्मयकारी संग्रह निहित है । इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी है ।

यह किला भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है और भारत के समृद्धशाली अतीत का प्रतीक है । राव जोधा जोधपुर के राजा रणमल की २४ संतानों मे से एक थे । वे जोधपुर के पंद्रहवें शासक बने। शासन की बागडोर सम्भालने के एक साल बाद राव जोधा को लगने लगा कि मंडोर का किला असुरक्षित है । उन्होंने अपने तत्कालीन किले से ९ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर नया किला बनाने का विचार प्रस्तुत किया । इस पहाड़ी को भोर चिडिया के नाम से जाना जाता था, क्योंकि वहाँ काफ़ी पक्षी रहते थे । राव जोधा ने १२ मई १४५९ को इस पहाडी पर किले की नीव डाली महाराज जसवंत सिंह (१६३८-७८) ने इसे पूरा किया । मूल रूप से किले के सात द्वार (पोल) (आठवाँ द्वार गुप्त है) हैं । प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली कीलें लगी हैं । अन्य द्वारों में शामिल जयपोल द्वार का निर्माण १८०६ में महाराज मान सिंह ने अपनी जयपुर और बीकानेर पर विजय प्राप्ति के बाद करवाया था । फतेह पोल अथवा विजय द्वार का निर्माण महाराज अजीत सिंह ने मुगलों पर अपनी विजय की स्मृति में करवाया था ।

राव जोधा को चामुँडा माता मे अथाह श्रद्धा थी । चामुंडा जोधपुर के शासकों की कुलदेवी होती है । राव जोधा ने १४६० मे मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की । मंदिर के द्वार आम जनता के लिए भी खोले गए थे । चामुंडा माँ मात्र शासकों की ही नहीं बल्कि अधिसंख्य जोधपुर निवासियों की कुलदेवी थी और आज भी लाखों लोग इस देवी को पूजते हैं । नवरात्रि के दिनों मे यहाँ विशेष पूजा अर्चना की जाती है ।

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