१. पाठशाला में पढाई जानेवाली प्रतीज्ञा, ‘सारे भारतीय मेरे बंधु हैं’, क्या इसके अनुसार हमारा आचरण होता है ?
आज पूरे देश में भारतीय सैनिकों के हत्याकांड की चर्चा हो रही है तथा इस घटनापर तीव्र रोष भी व्यक्त किए जा रहा है । विद्यार्थी बंधुओ, क्या आप इस घटना के विषय में कुछ सोचते हैं ? ‘भारत मेरा देश है । सभी भारतीय मेरे भाई-बहन हैं …..’, यह प्रतिज्ञा हम पाठशाला में करते हैं । परंतु, क्या हम इस प्रतिज्ञा के एक भी वाक्य के अनुसार आचरण करते हैं ?
क्या हम इस घटना से सचेत हुए हैं ? वास्तविक, यदि सब भारतीय हमारे भाई-बहन हैं, तो क्या सीमापर देशवासियों की रक्षा के लिए प्राण अर्पित करनेवाले सैनिकों के मृत्यु की थोडी-बहुत भी वेदना हमारे हृदयों में होती है ? उनके परिवारों को जो दुःख सहना पडता है, क्या उसका थोडा भी दुःख हमें होता है ? यदि हम कहते हैं कि सभी लोग मेरे भाई-बहन हैं, तो हमारे समान आयुकी लडकियों के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं क्यों हो रही हैं ? आज हम अंतर्मुख होकर विचार करने की आवश्यकता है । देश संकट में है और हम केवल व्यर्थ की बातें कर रहे हैं !
२. चलचित्र और क्रिकेट जैसे अनावश्यक विषयोंपर बातें कर समय व्यर्थ गंवानेवाले विद्यार्थियों में देश एवं धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों का तनिक भी बोध न होना ।
हम पाठशाला में शिक्षा लेते है, केवल अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होकर आगे बढने और बढे वेतन की नौकरी पाने के लिए ! आप अपने मित्रों से किसी गंभीर विषय पर नहीं, अपितु दूरदर्शन, चलचित्र और क्रिकेट पर चर्चा करते हैं अथवा अपने अध्यापकों का उपहास करते हैं । क्या किसी ने राष्ट्र और धर्म जैसे विषयों पर चर्चा करनेवाला एक भी विद्यार्थी देखा है ? वस्तुतः, यही हमारी दुर्दशा का कारण है । कुछ लोग आप से भले ही अच्छे हो; परंतु वे अपने कर्तव्यों को भूल चुके हैं !
३. पाठ्यपुस्तकों में सीखाए जानेवाले पूर्णतः असत्य इतिहास के विरुद्ध चुप क्यों ?
एन.सी.ई.आर.टी की देशद्रोही पाठ्यपुस्तकों में भगतसिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को आतंकवादी बताया गया है । शिवाजी महाराज तथा क्रांतिकारियों का इतिहास चार पंक्तिमें भी नहीं है ! हमारे देश के कुछ संगठनों ने इसके विरुद्ध आंदोलन खडा कर, इन पाठ्य पुस्तकों को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग की है । परंतु, आप अपने विद्यालय में इसके विरुद्ध क्यों नहीं बोलते ? निखिल वागले जैसे ढोंगी धर्मनिरपेक्षवादी लोगों से हम क्यों नहीं प्रश्न करते ? क्या हम में इतना भी देशाभिमान शेष नहीं है ? अब इन सभी प्रश्नोंपर विचार करने का उचित समय आ चुका है । इसके लिए हमें अपना सोया हुआ देशाभिमान पुनः जगाना है ।
४. पापियों को पाठ पढाने की और एक बार पुनः स्वतंत्रता संग्राम करने की परिस्थिति उत्पन्न हो गई है ।
बालक शिरीषकुमार का पाठ तो आपने अवश्य पढा होगा । अब एक बार पुनः स्वतंत्रता संग्राम करने का समय आ चुका है ! छात्रो, अब हम यह स्मरण रखेंगे कि हमें अपनी रक्षा स्वयं करने तथा अब भारतमाता पर हो रहे आक्रमणों को रोकने का भी समय आ चुका है । कुछ दिन पूर्व, एक कार्यक्रम में दो अल्प आयु के लडकों ने एक लडके की गोली चलाकर हत्या कर दी । १५-१६ आयु के लडके भी बलात्कार जैसी कुकृत्य करने लगे हैं ! ऐसी परिस्थितियों के कारण कूछ गांव के अभिभावोकों ने अपनी बेटियों को पाठशाला भेजना बंद कर दिया है ! इस समस्या पर, बेटी को पाठशाला न भेजना, यह उपाय उचित नहीं है । ऐसे पापियों को अब पाठ पढाने का समय आ गया है, जब तक हम उन्हें पाठ नहीं पढाते, तब तक यह सब ऐसे ही चलता रहेगा । इसलीए अब स्वयं का और अपने बांधओं का रक्षण करने के लिए स्वसंरक्षण प्रशिक्षण वर्ग में जाना सहयोगी ही एकमात्र पर्याय उपाय है ।
५. वर्तमान स्थिति को परिवर्तित करने हेतु क्या करना चाहिए ?
५ अ. यदि पाठ्यक्रम में कोई अनुचित बात लिखि हो, तो अपने शिक्षकों से प्रश्न करना : एक पाठ्यपुस्तक के चित्र में झांसी की रानी को चिलम पीते हुए दिखाया गया था । इस संदर्भ में एक विद्यार्थी ने प्रश्न किया, तो शिक्षक की बोलती बंद हो गई और उन्हें आगे जाकर इसके विषय में बताना पडा । उन पुस्तकों पर रोक लगवाने के लिए विविध आंदोलन हुए । अतः, बंधुओं, अपनी एक थोडीसी सतर्कता, एक प्रश्न भी ऐसे कुकृत्यों को रोक सकती है । आइए, अब हम अकबर, बाबर तथा उनके वंशजों का इतिहास छोडकर शिवाजी महाराजजी के तत्त्वनिष्ठ सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें !
५ आ. सत्य इतिहास का आग्रह करना : प्राचीन भारत में विदेश से सहस्त्रो विद्यार्थी पढने आते थे । नालंदा, तक्षशिला जैसे महान विद्यापीठ इसी भारत वर्ष में थे । परंतु, वर्तमान भ्रष्ट शासक उनका महत्त्व नहीं समझ पाए ! हमें जान बूझकर असत्य इतिहास पढाया जाता है; जिससे हम में देशाभिमान न उत्पन्न हो । अतः, आइए, अब हम सत्य इतिहास का आग्रह करें ।
५ इ. भाषणों से विद्यार्थियों को जागृत करना : अपने शिक्षक से, भ्रष्टाचार, आतंकवाद जैसी गंभीर समस्याओं के साथ शिक्षाक्षेत्र को कलंकित करनेवाली समस्याएं जैसे, परीक्षा में नकल करना आदि विषय को ठीक से समझाने के लिए अच्छे वक्ताओं के भाषण रखने की विनती करें । पाठशाला में भाषण प्रतियोगिता में अन्य विषयों के साथ देश की वर्तमान स्थिति और शासकों की निष्क्रियता आदि विषय प्रस्तुत करने के लिए भी प्रयत्न कर सकते है ।
५ ई. अपनी संस्कृति से परिचित करनेवालो‘बालसंस्कार डॉट कॉम’को देखना । : जब कक्षा में शिक्षक न हों, तब (अर्थांत ऑफ लेक्चरोंमें) अपने मित्रों को देशभर में हो रही घटनाओं के बारे में बताएं और इस प्रकार समाज-जागृति के इस महान कार्य में अपना छोटासा योगदान दें । सूचना महाजाल पर (नेटपर) फेसबूक देखने की अपेक्षा बच्चो में राष्ट्राभिमान जागृत करनेवाला तथा हमारी हमें अपनी संस्कृति से परिचित करानेवाले सूचना-जालस्थल (वेबसाइट), ‘बालसंस्कार डॉट कॉम’ देखिए ।
अंत में, एक बात और बताना चाहती हूं, कि यह देश विश्व का सबसे सुंदर देश है ! यह भूमि संत-महंत, धर्मवीर एवं राष्ट्रवीरों की हैं । सभी देवता गण इस भूमिपर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं । इस भूमिका व्यापार करनेवाले भ्रष्ट शासकों से अब हमें लडना है; इतना ही ध्यान में रखिए ।
आपण होऊया आता भारतमातेचे खरे मूल ।
चालेल जरी झाली आपल्या आयुष्याची चूल ।।
आइए, हम बनें भारतमाताके सच्चे सपूत ।
वह दिन आ गया है, अब न करें चूक ।।
अर्थ : आईए, अब हम भारतमाता के सच्चे पुत्र बनें । वह समय अब आ गया है, यह अवसर नहीं चूकना है ।
– कु. वैष्णवी जाधव (आयु, १५ वर्ष), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.