१. युवकों की अनुचित सोच
अ. विश्व की सभी वस्तुएं हमारे ही उपभोग के लिए निर्मित हैं और उनका आस्वाद लेना हमारा अधिकार/कर्तव्य है, ऐसा भोगवादी विचार युवा पीढीद्वारा खुलकर प्रस्तुत किया जा रहा है ।
आ. सम्पन्न युवकों को लगता है कि वेग से वाहन चलाना और किसी को टक्कर मारना, अपनी अपार सम्पत्ति का प्रदर्शन करना है ।
२. युवकों में अपराध की प्रवृत्ति बढने के कारण
अ. युवा पीढी का – भावना, लालसा, लोभ जैसे दोष स्थायी स्वभाव बन गए हैं । हमारे युवक किसी भी प्रकार से सुख प्राप्त करने के लिए तथा इसके लिए कितना भी मूल्य चुकाने के लिए तत्पर रहते हैं । ऐसी मानसिकता से युक्त युवा पीढी अपराध की ओर बढ रही है ।
आ. राजनीतिज्ञ लोग जब राजनियमों को अंगूठा दिखाकर भ्रष्टाचार करते हैं, तब यह दृश्य देखकर युवा पीढी को – दृढता, साहस, सिद्धान्तवादिता आदि गुण महत्त्वहीन लगते हैं ।
इ. आज की युवा पीढी समाज में अपना वर्चस्व प्रस्थापित करने के लिए अनुचित मार्ग से सम्पत्ति अर्जित करने के पीछे पडी हुई है ।
ई. खुली अर्थव्यवस्था अपनाने के पश्चात, युवा पीढी अपराध की ओर बढ रही है । जबतक उन्हें शिक्षा का महत्त्व नहीं ज्ञात होगा, तबतक उन्हें पश्चाताप नहीं होगा ।
३. युवकों से होनेवाला पश्चिमी देशों का अन्धानुकरण !
अ. दूरचित्रप्रणालोंपर प्रदर्शित होनेवाले असभ्य धारावाहिकों के कारण, संस्कारी युवक सकुचाए हैं, तो संस्कारविहीन पीढी बहक गयी है ।
आ. लडके, पश्चिमी देशों का अन्धानुकरण कर, भारतीय संस्कारों की होली कर रहे हैं ।
इ. आज नगरों में पब (मद्यालय), डान्स बार, हुक्कापार्लर खुलने से युवक भोगविलास के लिए घर से पैसे चुरा रहे हैं ।
ई. आज के युवकोंद्वारा पैसे के बलपर किए जानेवाले अनैतिक कृत्यों के कारण उनकी नैतिकता ढल रही है तथा भविष्य अन्धकारमय हो रहा है ।
४. अभिभावकों की अनुचित भूमिका !
अ. वैश्वीकरण का भारतीय संस्कृतिपर दुष्पपरिणाम होना, स्वाभाविक है । ऐसी स्थिति में उन्हें मार्गदर्शन करनेवाला कोई नहीं है । यहांतक कि अभिभावक भी अपनी भूमिका नहीं निभाते ।
आ. पूर्वकाल में सायंकाल दीप लगाने के समय घर आने की परम्परा थी । आज स्थिति यह है कि अभिभाव रात्रि में विलम्ब से आनेवाले अपने लडके की प्रशंसा करते नहीं थकते । अभिभावकों का यही दृष्टिकोण लडकों का भविष्य चौपट कर रहा है ।
५. अभिभावको, भटकी युवा पीढी को दिशा देने के लिए यह कीजिए !
अ. लडकों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए अभिभावक उनसे चर्चा अवश्य करें ।
आ. अभिभावक ही यदि लडकों को संस्कारों के प्रभाव में रखेंगे, तो वे अपराध करने से बचेंगे और देश के विकास में हाथ बंटाएंगे ।
– शिवदास शिरोडकर, लालबाग, मुम्बई. (दैनिक लोकसत्ता, २५ दिसम्बर २०१०)