शिक्षा का ध्येय एवं उद्देश्य
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्जन करना है । ‘सा विद्या या विमुक्तये ।’ अपने दुःख समाप्त कर निरंतर आनन्द प्राप्त करने का ज्ञान जिस से प्राप्त होता है, उसे ही विद्या कहना चाहिए । वर्तमान शिक्षाप्रणाली में पालक एवं विद्यार्थियों का ध्यान अधिक से अधिक अंक प्राप्त होकर उसे आधुनिक वैद्य, अभियंता अथवा अन्य अच्छे व्यवसाय में प्रवेश प्राप्त करने की ओर होता है । बुद्धिमान विद्यार्थी अधिक अध्ययन कर आधुनिक वैद्य, अभियंता एवं बडे अधिकारी बन सकते हैं तथा अधिक धन प्राप्त कर सकते हैं; परन्तु यह निश्चिती नहीं होती कि वे सुखी एवं संतुष्ट होंगे ही । शिक्षा से निम्नांकित बातें साध्य होने पर ही उसे खरी शिक्षा कह सकते हैं ।
१. ज्ञानसंवर्धन एवं बुद्धिमत्ता का विकास
२. अपने अपने व्यवसाय की निपुणता । जिस से भरपूर धन प्राप्त होने पर वह अपना एवं अन्यों का जीवन सुखी एवं संपन्न बना सकेगा ।
३. जीवन के नैतिक मूल्यों का पालनपोषण एवं संवर्धन
४. चरित्रवान व्यक्तित्व की रचना करना
५. अपनी सांस्कृतिक विरासत सुधारना एवं उसे अगली पीढी को देना
६. अपने जीवन का ध्येय क्या होना चाहिए तथा उसे प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए, इसका मार्गदर्शन करना ।
७. विद्यार्थियों को आदर्श नागरिक बनाना । दुर्भाग्य से वर्तमान शिक्षाप्रणाली में उक्त बातों के अभाव का प्रमुखता से भान होता है ।