वर्तमान में अनेक अभिभावक अपने बच्चों के प्रयल, रूमीन, लविला, आशिता ऐसी अर्थहीन नाम रखते हैं । कुछ अभिभावक बच्चों के नाम विकी, रीटा, डॉली इत्यादि, ऐसे विलायती नाम भी रखते हैं ।
अ. अर्थहीन नाम रखने से बच्चों को आध्यात्मिक स्तरपर उसका लाभ नहीं होता है ।
आ. विलायती नाम रखना एक प्रकार से विदेशी संस्कृति का दास्यत्व स्वीकारने समान है । देश स्वतंत्र होकर इतने वर्ष हो गए, तब भी हम आजतक दास्यत्व में रहेंगे क्या ? ऐसे नाम रखने से अनजाने में ही अपनी संस्कृति को भूलाते जाते हैं !
१. अध्यात्मशास्त्र के अनुसार नाम रखने से होनेवाले लाभ
अ. आध्यात्मिक नाम का बच्चोंपर संस्कार होकर बच्चों की वृत्ती नाम के अर्थ अनुसार बनने में सहायता होना : जब-जब बच्चे अपना नाम सुनते हैं अथवा उच्चारते हैं, उस समय नाम का बच्चोंपर संस्कार होता जाता है । इसलिए बच्चों की वृत्ती अनजाने में ही नाम के अर्थ के अनुरूप बनने में सहायक होती है, बच्चों का नाम ‘समर्पण’ हो, तो उसके मन में समर्पण की (त्याग की) भावना निर्माण होती है । मान लें यदि किसी लडकी का नाम ‘अर्चना’ हो, तो उसके मन में अर्चना (भगवान की उपासना) करने के विचार आएंगे ।
आ. अध्यात्म के नियम के अनुसार नाम से संबंधित भाव अथवा स्पंदन बच्चो में निर्मित होने में सहायक बनते हैं : अध्यात्म में एक नियम ऐसा है – ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध एवं उनसे संबंधित शक्ति एकत्रित होती है ।’ मान लो किसी लडकीका नाम ‘आनंदी’ हो तो उपरोक्त नियम के अनुसार उस नाम से जोडे गए आनंद के स्पंदनों का उसे लाभ होकर उसकी वृत्ती सदैव आनंद में रहने में सहायता होगी ।
२. धर्मशास्त्र के अनुसार लडके-लडकियों के नाम कितने अक्षर के होें ?
अ. बच्चों के नाम सम अक्षर संख्या में, अर्थात २-४-६ अक्षर में हों ।
आ. बच्चियों के नाम विषम अक्षर संख्या में, अर्थात ३-५-७ अक्षरों में हों ।
३. कुछ आध्यात्मिक नामोंके उदाहरण
अ. लडके : गुरुदास, देवीदास, रामदास, समर्पण, प्रेमानंद, नित्यानंद, सदानंद, विनय एवं आनंद ।
आ. लडकियां : अर्चना, आरती, प्रार्थना, साधना, नम्रता, नमिता, विनया, ऋजुता, सुविद्या, आनंदी, स्वानंदी एवं मोक्षदा ।
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात