बहुत पुराने समय की बात है । एक गांव में गोपाल नाम का एक बूढा व्यक्ति रहता था । बुढापा आने के कारण वह बहुत थक गया था और काम नहीं कर पाता था । उसने अपने जीवन में पर्याप्त धन कमा लिया था ।
गोपाल के पांच बेटे थे; परंतु वे प्रतिदिन आपस में झगडते रहते थे । अपने बेटों को रोज इस प्रकार झगडते देखकर गोपाल बहुत दु:खी रहता था । उसने अपने बेटों को बहुत समझाया; किन्तु उसका कुछ भी समझाना व्यर्थ हो जाता था । गोपाल समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करे ? एक दिन उसे एक तरकीब सूझी ।
गोेपाल ने एक दिन अपने पांचों बेटों को बुलाया और प्रत्येक के हाथ में एक-एक लकडी देकर कहा कि इन्हें तोड कर दिखाओे । पांचों भाईयों ने तुरंत अपने-अपने हाथ की लकडी बिना किसी मेहनत के तोड दी और बोले यह तो आसान है । अब गोपाल ने दूसरी पांच लकडियां एक रस्सी से बांधी और लकडियों का वह गट्ठा प्रत्येक बेटे को तोडने के लिए दिया, किन्तु एक भी बेटा उस लकडीयों के गट्ठे को नहीं तोड पाया । यह देखकर गोपाल ने कहा, ‘‘बेटों, देख लिया न तुम सभी ने; संगठन में कितना बल होता है ?’’ जब मैंने एक एक लकडी दी, तब आप सभी ने उन्हें तोड दिया; परंतु जब लकडियों को एकत्रित कर बांध दिया, तो तुम में से कोई भी लकडियों का गट्ठा नहीं तोड पाया । इसलिए यदि तुम सभी आपस में इसी प्रकार झगडते रहोगे, तो बाहर का कोई भी व्यक्ति आकर तुम्हें नुकसान पहुंचा सकता है; परंतु यदि तुम लकडियों की भांति इकट्ठे रहेंगे, तो कोई भी तुम सब को नुकसान नहीं पहुंचा सकता । सभी भाई अपने पिताजी की बात समझ गए और सभी ने आपस में न झगडने का निश्चय किया और प्रेम से एक साथ रहने लगे ।
तो बालमित्रो, आपको संगठन अर्थात एकत्रित रहने का महत्व समझ में आ ही गया होगा । हम भी आज से एक दुसरे के साथ प्रेम से व्यवहार करेंगे और संगठित अर्थात एकत्रित रहेंगे । जिससे हमारा बल बढेगा तथा हम सब अपने परिवार और अपने राष्ट्र की रक्षा कर पाएंगे । आज से हमें यह विचार करना है कि हमारा राष्ट्र ही एक परिवार है और हम राष्ट्र की रक्षा के लिए तैयार रहेंगे ।