एक बार नारद ऋषि लंका के राजा रावण से मिलने गए उस समय रावण ने गर्व से अपने सामर्थ्य का वर्णन किया; परंतु नारदजीने उसे सावधान किया था कि सूर्यवंश के राजा दशरथ एवं रानी कौसल्या के पुत्र श्रीरामचंद्र के हाथों तुम्हारी मृत्यु है । इस भविष्य की सत्यता की जांच करने के लिए रावण बह्मदेव से मिला ।
ब्रह्मदेव ने कहा कि यह सत्य है तथा यह भी बताया कि आजसे तीसरे दिन कोशल देश की राजधानी में राजा दशरथ का विवाह कौसल्या के साथ होनेवाला है । तब, यह विवाह ही न हो, इस हेतु रावण ने सेना भेजकर कौशल्या का अपहरण करवाया; परंतु स्त्री हत्या का पाप न लगे इस विचार से उसे एक पेटी में बंदकर समुद्र में छोड दिया । उस पेटी को लेकर दो मछलियों में लडाई प्रारम्भ हो गई तथा उन्होंने आपस में निश्चितकिया कि युद्ध में जिसकी विजय होगी वही उस पेटी का स्वामी होगा । उन्होंने वह पेटी एक द्वीपपर रखी । इधर अजपुत्र दशरथ कोशल देश जाने के लिए परिजनों तथा सेना के साथ जलयान में बैठकर समुद्रमार्ग से निकले । यह ज्ञात होते ही रावण आकाश से शस्त्रवृष्टि करने लगा । उसने उस जलयान को तोडकर समुद्र में डुबा दिया। तब, दशरथ एक लकडी के सहारे तैर कर एक द्वीपपर पहुंचे । वहां उन्होंने एक पेटी देखी । पेटी खोलते ही भीतर कौसल्या दिखाई दी । दोनोंने एक-दूसरे को पूरी घटना बताई । संयोग से, दोनों का यह मिलन विवाह के दिन ही हुआ । अत्यंत आनंद से पंचमहाभूतों को साक्षी बनाकर दोनों ने विवाह किया । दोनों, दिन के समय उस द्वीपपर घूमते थे तथा रात्रि के समय पेटी में रहते थे । इस प्रकार उनका दिनचर्या चलती रही । उधर, युद्ध में विजयी मछली एक रात्रि उस पेटी के पास आई तथा उस पेटी को मुख से उठाकर लंका के किनारे रख दी । जब रावण गर्व के साथ ब्रह्मदेव की वाणी असत्य होने की सूचना देने ब्रह्मदेव के पास पहुंचा, तो उसे जानकारी मिली कि दशरथ तथा कौसल्या का विवाह हो चुका है तथा उनका पता भी ज्ञात हो गया । रावण ने लौटकर वह पेटी मंगवाई तथा दोनों को मारने के लिए तलवार उठा ली । दशरथजी का क्षात्रवृत्ति जागृत हो गयी तथा वे युद्ध के लिए उद्यत हो गए; परंतु रावण की पत्नी साध्वी मंदोदरी ने रावण को समझाकर यह अनर्थ होने से रोक दिया । रावण को भी लगा कि मेरे इस कुकृत्य से राम तुरन्त अवतरित हो जाएंगे, इस भय से उसने दशरथपर प्रहार करने से स्वयं को रोका एवं दशरथ-कौशल्या को विमान से अयोध्या भेज दिया । दोनों को सकुशल लौटा देखकर सभी को आनंद हुआ ।