बच्चो, आप जानते ही है कि कुबेर अत्यधिक धनवान हैं । एक बार कुबेर ने भगवान शिवजी और माता पार्वती को भोज पर बुलाया। भगवान शिवजी ने कहा, ‘वे कैलाश छोडकर कहीं नहीं जाते इसलिए नहीं आ पाएंगे। माता पार्वतीजी ने कहा, ‘मैं अपने स्वामी को छोडकर कहीं नहीं जा सकती ।’ तब भगवान शिवजी ने कहा, ‘आप हमारे स्थान पर गणेश को ले जाओ ।’
तब कुबेर श्री गणेश जी को अपने साथ भोज पर ले गए । वहां उन्होंने मन भर कर मिठाई और मोदक खाए । वापस आते समय कुबेर ने उन्हें मिठाई का थाल देकर विदा किया । लौटते समय रात हो चुकी थी । चन्द्रमा की चांदनी में गणेश जी अपने वाहन मूषक पर बैठकर आ रहे थे ।
उसी समय अचानक उनका वाहन मूषक डगमगाया । इस कारण से गणेशजी भी डगमगाए ।
यह सब चन्द्रमा ऊपर से देख रहे थे । उन्होंने जैसे ही श्री गणेश जी को डगमगाते हुए देखा, तो वे अपनी हंसी रोक नहीं पाए और उनका मजाक उडाते हुए बोले, इतने विशालकाय और एक छोटे से मूषक पर बैठे हो और हंसने लगे ।
चन्द्रमा की बात सुनकर गणेश जी को गुस्सा आ गया । उन्होंने सोचा कि घमंड में चूर होकर चन्द्रमा इस प्रकार से मेरा मजाक उडा रहा है । इसलिए, श्री गणेशजी ने चन्द्रमा को शाप दिया कि जो भी भाद्रपद गणेश चतुर्थी के दिन तुमको देखेगा उस पर चोरी का आरोप लगेगा ।
शाप की बात सुनकर चन्द्रमा घबरा गए ।उन्हें अपनी गलती का भान हुआ और उन्होंने शीघ्र ही श्री गणेशजी से क्षमा मांगी । कुछ देर बात जब गणेश जी का गुस्सा शांत हुआ, तब उन्होंने कहा, ‘मैं शाप तो वापस नहीं ले सकता, परंतु तुम्हें एक वरदान देता हूं कि गणेश चतुर्थी के दिन तुम्हें देखनेवाला व्यक्ति यदि अगली गणेश चतुर्थी को तुम्हें पुनः देखेगा, तब उस पर से चोरी का आरोप हट जाएगा । इसके अतिरिक्त एक और कहानी सुनने में आती है कि गणेश जी ने चन्द्रमा को उनका मजाक उडाने पर शाप दिया था कि वह आज के बाद चंद्रमा किसी को दिखाई नहीं देंगे । चन्द्रमा के क्षमा मांगने पर उन्होंने कहा किदिए हुए शाप का परिणाम तो तुम्हें भोगना ही पडेगा । शाप मैं वापस नहीं ले सकता, लेकिन एक वरदान देता हूं कि तुम माह में एक दिन किसी को भी दिखाई नहीं दोगे और माह में एक दिन पूर्ण रूप से आसमान पर दिखाई दोगे । बस तभी से चन्द्रमा पूर्णिमा के दिन पूरे दिखाई देते हैं और अमावस्याके दिन नजर नहीं आते ।